लोगों को स्वस्थ करने का दावा और खुद है बीमार जिले के अस्पताल।
शहडोल से मोहित तिवारी की रिपोर्ट।
कचरा प्रबंधन को ले कर लापरवाह अस्पताल प्रबंधन।
शहडोल। दूसरों को सलाह देना सरल है पर खुद उसका पालन करना मुश्किल है, इस कहावत को सच करते जिले की स्वास्थ्य संस्थान।
कोरोना वायरस कोविड-19 की महामारी पूरे विश्व में फैली हुई है, इससे निपटने के लिए विशेषज्ञ लगे हुए हैं। साथ ही शहर गांव और हर जगह सफाई रखने की सलाह दी जा रही है। यहाँ तक कि खुद स्वास्थ्य विभाग द्वारा साफ सफाई की बात कही जा रही है पर खुद स्वास्थ संस्थाए इसका पालन करती दिखाई नहीं दे रही हैं।
शहडोल जिला चिकित्सालय शहडोल जिले का एक मात्र ऐसा चिकित्सालय है जहां दूर गॉंवों से लोग इलाज कराने आते हैं। प्रशासन द्वारा अस्पताल परिसर को साफ सुथरा रखने के कड़े निर्देश दिए गए हैं।
कोरोना वायरस से संक्रमण के बचाव को लेकर जहां एक ओर स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिए जाने की बात कही जा रही है, वहीं जिला अस्पताल परिसर की स्वच्छता को लेकर जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से बेपरवाह बने हुए हैं।
जिला अस्पताल के सामने का परिसर तो साफ और स्वच्छ नजर आता है, लेकिन भवन के अगल-बगल और पीछे का नजारा आश्चर्यचकित करने वाला है। जिला अस्पताल में हर दिन मरीज इलाज के लिए आते हैं। कई मरीज यहां भर्ती भी हैं। ऑपरेशन से लेकर महिलाओं की डिलीवरी तक की व्यवस्था जिला अस्पताल में है।
शासन प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार कूड़ा निस्तारण को लेकर संजीदा नहीं हैं। जिला अस्पताल के पीछे नेत्र चिकित्सालय के सामने मेडिकल वेस्ट कचरा फेंका जा रहा है। जिससे चिकित्सालय परिसर का वातावरण प्रदूषित हो रहा है। गंदगी से मरीजों और उनके परिजनों को संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है, इसके बावजूद जिला अस्पताल प्रबंधन सफाई को लेकर बेपरवाह बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल की सफाई को लेकर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं। इसके बाद भी अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम बना हुआ है। खासकर ऐसे समय में जब देश और प्रदेश, जिले में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बना हुआ है, इससे बचाव के लिए सफाई व्यवस्था पर विशेष जोर दिए जाने की बात की जा रही है।
अस्पताल की व्यवस्था चरमराई:
जिला अस्पताल शहडोल का प्रस्तुति वार्ड जहाँ मरीज नीचे सोने को मजबूर हैं, जब इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी जाती है तो उनका सीधा सा जवाब रहता है कि मरीज़ों की संख्या ज्यादा है इस कारण व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही है।
नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिग के नियमों का पालन:
जिला अस्पताल परिसर में नियमों का पालन नहीं होता दिखाई दे रहा है। लोग बिना सोशल डिस्टेंसिग के, बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं।
जयसिंहनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी यही हाल:
जिले से पचास किलो मीटर दूर जयसिंह नगर में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी सफाई को लेकर कमोबेश यही हाल है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प होती नजर आ रही है और ज़िम्मेदार इनसे बचते नजर आते हैं।
सिविल सर्जन का कथन:
अगर हॉस्पिटल की स्थिति ऐसी है तो दिखवाता हूँ। लापरवाहों से जवाब तालब कर कार्यवाही की जावेगी।
स्टूवर्ड का कथन:
दो तीन दिन से मरीज ज्यादा आ रहे हैं फिर भी मैं दिखवाता हूँ।