The movement of the villagers is risky because of the disturbances.

गडडों की वजह से गाँव के नागरिकों का आवागमन हुआ बाधित।

शहडोल संभाग से मोहित तिवारी की रिपोर्ट।

70 सालों से कई तरफ जाने वाले मार्ग का उद्धार आज तक नहीं हो पाया है। सुविकसित सड़क न होने की वजह से बरसात के मौसम में लोगों को अपने घरौंदे में कैद रह जाना पड़ता है। शहडोल शहर मुख्यालय से करीबन तीस किलोमीटर की दूरी पर साईडिंग मोड़ से हाथी डोल के आगे बढ़ते ही एक बदहाल रास्ता जाता है। बुढार तक पहुंचने वाले इस गढ्ढे नुमा रास्ते पर जानलेवा गड्ढों की बहुलता लोगों के लिए सिरदर्द बन गई है।

The movement of the villagers is risky because of the disturbances.

देश की आजादी के बाद भी आज तक आठ किलोमीटर के इस रास्ते का कायाकल्प नहीं हो पाया है। इस डामर रोड वाले मार्ग पर जानलेवा गड्ढों के अलावा कुछ नजर नहीं आता। इतने हैवी और गहराई वाले खतरनाक गड्ढों में पूरा वाहन समा जाता है। अब तक गड्ढों से घिरे इस रास्ते पर दर्जनों लोगों का एक्सीडेंट हो चुका है।

ग्राम पंचायत करकटी और छिरहटी  के अंतर्गत करीबन आठ किलोमीटर के इस बदहाल रास्ते पर फैले जानलेवा गड्ढे के कारण बरसात के मौसम में समस्या और बढ़ जाती है।

कोयला खदान के कारोबार ने निकाला  रोड का  दीवाला:

हरदी खैरहा बुढार  पहुंच मार्ग पर घुसते ही  रास्ता अंदर की तरफ जाता है। तकरीबन एक दर्जन गांवों में रहने वाली आबादी के लिए यह गड्ढों वाली सड़क मुकद्दर बन गई है। नेताओं की मिन्नतें करने के बाद भी सैकड़ों गरीबों को आवागमन करने के लिए एक सड़क तक नसीब नहीं हुई है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि तकरीबन पंद्रह साल से ग्राम पंचायत की सीमा कोयला  बिजनेस किंग यहां पर संचालित खदानों से निकलने वाले इस कोयला से लाखों-करोड़ों रुपए की कमाई करने वाले बेलगाम बिजनेसमैन लोगों ने सैकड़ों गांवों में रहने वाले लोगों को राहत देने के लिए पिछले पंद्रह सालों में एक सड़क का निर्माण कार्य नहीं करवाया है। 

रेलवे स्टेशन के करीब दो एकड़ से अधिक जमीन पर बनाने की साईडिंग संचालित हो रहा है। इस कोयला फैक्ट्री से चौबीस घंटे टैलर, बारह और दस चक्का ओवरलोड वाहनों का आवागमन बराबर बना रहता है। सालों पुराने इस मार्ग के सहारे मंजिल तक पहुंचने का काम किया जाता है। 

कोयला फैक्ट्री के कारण ही आठ  किलोमीटर का यह रास्ता जानलेवा गड्ढों की पहचान बन गया है। चौबीस घंटे फैक्ट्री से ओवरलोड वाहनों की रवानगी का सिलसिला हमेशा जारी रहता है। भारी ओवरलोड वाहनों को रोड से दौड़ाने वाले  इस प्लांट से मोटी कमाई बराबर होती है। इसके बाद भी एक दर्जन गांवों में रहने वाले परेशान लोगों की सुविधा के लिए प्रबंधक केवल आठ किलोमीटर की सड़क का निर्माण कार्य नहीं करवा रहा है। 

ठेका हुआ, पैसा निकला, कहीं और कराया निर्माण या?

आठ  किलोमीटर के इस मार्ग वाले उपेक्षित मार्ग पर आवाजाही करना हमेशा खतरनाक साबित होता रहेगा। स्थानीय लोगों ने बताया कि तकरीबन तीन साल पहले इस आठ किलोमीटर के उपेक्षित रास्ते का निर्माण कार्य करवाने के लिए टेंडर हुआ लेकिन सड़क का निर्माण कार्य आज तक नहीं करवाया गया। ग्राम पंचायत  के योजनाबद्ध तरीके से आठ किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए टेंडर करवाया और पैसा भी निकाला गया लेकिन शातिराना अंदाज में उपेक्षित रास्ते पर मिट्टी का बिछाव करवाते हुए किसी दूसरे स्थान पर सड़क का निर्माण कार्य करवा दिया।

सूत्रों ने बताया कि देश की आजादी के बाद से यहां पर समय समय में सड़क निर्माण के नाम पर सरकारी पैसे जरुर निकाले गए पर कभी सड़क का निर्माण कार्य नहीं करवाया गया। 

सबको किया मैनेज

देश की आजादी के इतने सालों बाद भी आठ किलोमीटर की सड़क का निर्माण कार्य संभव नहीं हो पाया है। तकरीबन पंद्रह साल पहले किंग बिजनेसमैन ग्राम पंचायत की सीमा में जमीन के बड़े हिस्से को दिया। आठ किमी सड़क में केवल नजर आते हैं जानलेवा गड्ढे ही गढ्ढे। देश की आजादी के इतने सालों बाद भी आठ किलोमीटर की सड़क का निर्माण कार्य संभव नहीं हो पाया है। तकरीबन पंद्रह साल पहले आप पर लिए बहुत से नियम कार्य जमीनी स्तर पर पालन ग्राम पंचायत छिरहटी, धमनी कला, जवारी, सिलपरी, नौगवां, खन्नांथ, अरझुला, सारंगपुर, खैरहा, बोडरी सहित अन्य गांवों के सैकड़ों लोगों को जानलेवा गड्ढों का सामना रोजाना करते हुए आवाजाही करनी पड़ती है।

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