नगर पालिका परिषद गाडरवारा में आरटीआई कानून की उड़ाई जा रही धज्जियाँ।

नगर पालिका परिषद गाडरवारा में आरटीआई कानून की उड़ाई जा रही धज्जियाँ।

गाडरवाड़ा से इमरान खान की रिपोर्ट।

अपीलीय अधिकारी के आदेश होने के बाद भी नहीं दी जाती जानकारी। वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को बता दिया जाता ठेंगा। जानकारी नहीं मिलने के कारण करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार के राज है दफन।

“अंधेर नगरी चौपट राजा’ जी हां ये वाक्य फिट बैठता है नगर पालिका परिषद गाडरवारा पर। इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार किसी की भी हो जिम्मेदार अधिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। ऐसा ही हाल इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुकी नगर पालिका गाडरवारा का है RTI कानून यानी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ था। इस कानून का उद्देश्य जन जागरूकता को बढ़ाना और हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए यह कानून बनाया गया था।

RTI laws are being brought up in municipal council gadarwara.

RTI के तहत निर्धारित 30 दिवस की समय सीमा में जानकारी ना मिलने पर उसकी अपील अपीलीय अधिकारी के यहां करने का नियम है लेकिन यहां तो अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी नहीं दी जाती जानकारी। अपीलीय अधिकारी के आदेश को बता दिया जाता ठेंगा।

तो वही दूसरी ओर नगर पालिका गाडरवारा में RTI से जानकारी ना मिलने के कारण करोड़ों के भ्रष्टाचार के राज आज भी दफ़न हैं। लगातार नगर पालिका परिषद गाडरवारा में हो रहे भ्रष्टाचार पर उसके खिलाफ ना बोलने पर जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती नजर आती है। आपको बता दें कि पहले भी RTI से कुछ जानकारियां बड़ी ही मशक्कत करने के बाद प्राप्त हुई थी जिसमे नगर परिषद गाडरवारा पर RTI से प्राप्त जानकारी में नल जल योजना में हुए भ्रष्टाचार या फिर बात करें रेस्ट हाउस के सामने मॉडल सड़क पर अवैध तरीके से बने शौचालय की। इन सभी मामलों में RTI से प्राप्त जानकारी में ही भ्रष्टाचार उजागर हो सका था। या यूं कहें कि नगर पालिका परिषद गाडरवारा में कई वर्षों से जमे बैठे जयचंदों के कारण नहीं मिल पाती जानकारी।

आपको बता दें कि गाडरवारा नगर पालिका की इस सम्बंध में कई बार CM हेल्पलाइन पर भी शिकायत लगभग 1 साल में 3 बार करने बाद भी नहीं होती कोई कार्यवाही। भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी बैखोफ बैठे भ्रष्टाचार को यूं बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं। या यूं कहें कि इन अधिकारियों की वजह से करोड़ों का पलीता शासन को लगता दिखाई दे रहा है। वही कानूनों का कर दिया जाता है “राम नाम सत्य।”

इनका कहना है -:

सूचना का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को भ्रष्टाचार उजागर करने में ब्रम्हास्त्र की तरह कारगर साबित होता है तो वहीं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 कानून की नगर पालिका परिषद गाडरवारा में जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिससे करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार के राज दफ़न हैं। वहीं अपीलीय अधिकारी के आदेश को भी लोकसूचना अधिकारी द्वारा बता दिया जाता है ठेंगा। दोषी लोक सूचना अधिकारी पर नगर पालिका गाडरवारा को कार्यवाही करनी चाहिए।

पवन कौरव: आरटीआई एक्टिविस्ट एवं उपाध्यक्ष नागरिक उपभोक्ता मंच गाडरवारा।

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