BMO को लेकर पूर्व पार्षद का छलका दर्द।
उदयपुरा से पर्वत सिंह राजपूत की रिपोर्ट।
सोशल मीडिया पर किया दर्द बयां।
उदयपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के BMO को लेकर खुद पूर्व पार्षद अनिल सोनी का दर्द उनकी ही जुबानी…
उदयपुरा। मैं अनिल सोनी पूर्व पार्षद मैं आज मेरी पत्नी जोकि वह भी पूर्व पार्षद रही है। इनके साथ मेरी बेटी, मेरे बेटे के साथ चार दिन से मेरी पत्नी और मेरी बेटी और मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं थी।
उन तीनों को गले में दर्द एवं टॉन्सिल्स की शिकायत रही। सर्दी खांसी और बुखार की शिकायत रही । मैंने तीन दिन नार्मल ट्रीटमेंट उनका कराया।
आराम नहीं लगने पर उदयपुरा स्वास्थ्य केंद्र में दिखाने का सोचा। वहाँ पर BMO डॉ.रजनीश सिंघई को दिखाया जिन्होंने मुझे मेरी पत्नी, बेटी और बेटे तीनों की कोरोना-19 की जांच करने का कहा और मुझे संबंधित वार्ड में जाने का कहा तब मैंने संबंधित अस्पताल के ड्यूटी में रहे डॉक्टर सपना और जिम्मेदार कर्मचारियों से कहा वहाँ मुझे कोई सुनने को तैयार ही नहीं था।
और सभी अपने अपने ढंग से मुझ से पल्ला छुड़ाने में लगे रहे। मुझ से 4 दिन बाद याने मंगलवार को आने का बोला मैं बार बार कहता रहा और यह मैंने बाद में BMO से भी कहा 4 दिन का समय बहुत होता है।
आपको या कोरोना-19 की जांच ही नहीं लिखनी थी और आपने लिखी है तो चार दिन बाद में आकर आप से जांच करूंगा तो समय अधिक हो जाएगा लेकिन वह अपनी ही सुनाते रहे।
मेरी कोई भी बात सुनने को तैयार ही नहीं थे जबकि वह मेरे पुराने मित्र हैं और मैं यह सब इसलिये लिख रहा हूँ जब मेरे बच्चों पर ही बन आये तो काहे की मित्रता और काहे का डॉक्टर और जो व्यक्ति BMO जैसे पद पर रहते हुये गंभीरता नहीं दिखाता।
मेरे आग्रह को नहीं समझ पाता, मुझ जैसे पढे लिखे व्यक्ति को यदि वह इस ढंग से ट्रीट करेगा तो वह गरीब जनता और आम लोगों से कैसा व्यवहार करेगा ।
एक BMO मुझ से यदि एक पत्रकार के सामने यह कहे कि किस को कोविड-19 पाजेटिव करना है और किस को नेगेटिव करना है।
यह सब मेरे हाथ में है और मैं जिस को चाहूं पाजेटिव कर दूं और जिस को चाहे नेगेटिव कर दूं। यह सब मेरे हाथ में है। डॉ.सिंघई तुम्हारी यह अहंकार की भाषा मुझे रास नहीं आई। तुम अपने आप को मिस्टर इंडिया समझना बंद करो।
यह सब उन्होंने एक पत्रकार के सामने कहा और अस्पताल का एक नेतराम नाम का चपरासी वह BMO से बात ही नहीं करने दे रहा था। ठीक ढंग से जैसे पूरी जिम्मेदारी उसी ने संभाल रखी हो। वह चपरासी मुझे बार बार समझाता रहा कुछ भी नहीं है। मैं समझ ही नहीं पा रहा था BMO नेतराम चपरासी है या डा.सिंघई और मुझे मेरे बच्चों की जांच नेतराम चपरासी ने लिखी है या BMO ने। वह चपरासी मेरे समझाने के बाद भी वह मुझे BMO से बात नहीं करने दे रहा था और मैं जो भी लिख रहा हूँ पूर्ण रूप से पूरी जिम्मेदारी और मेरी जबाबदारी पर लिख रहा हूँ।
क्या मुझे बच्चों की जांच के लिये 4 दिन तक घर पर इंतजार करना होगा यदि BMO ने जांच लिखी है और इस दौरान यदि मेरे बच्चों की तबियत बिगड़ती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। जो व्यवहार अस्पताल में मेरे साथ हुआ है। मैं तो ईश्वर की कृपा से सक्षम इंसान हूँ। मैं कहीं भी चला जाऊंगा इलाज के लिए पर ये सब इसलिये लिख रहा हूँ कि किसी गरीब मजबूर इंसान के साथ यह व्यवहार मत करना जो भी मेरे साथ किया।