छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार भोजली मंगलवार को धूमधाम से मनाया गया।

छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार भोजली मंगलवार को धूमधाम से मनाया गया।

मुंगेली से ब्यूरो चीफ पितांबर खांडे की रिपोर्ट।

मित्रता आदर और विश्वास के इस प्रतीक पर्व पर शाम के समय गांव में इसका रंग दिखा। जब नदी और तालाब में छोटे-छोटे बच्चे और महिला सिर पर भोजली लेकर विसर्जन के लिए लोकगीत गाते हुए निकली।

The traditional festival of chhattisgarh was celebrated on Tuesday with pomp.

त्योहारों के प्रदेश छत्तीसगढ़ का यह पहला ऐसा त्यौहार है जो पूरे विश्व में सिर्फ अपने अंतिम दिन यानी विसर्जन के दिन के लिए प्रसिद्ध है।

छत्तीसगढ़ के त्यौहार में प्रमुख भोजली त्यौहार, भोजली गीत छत्तीसगढ़ की एक पहचान है। छत्तीसगढ़ का यह गीत सावन के महीने में महिलाऐं गाती रहती हैं। सावन का महीना जब चारों ओर हरियाली दिखाई पड़ती है। कभी अकेली जाती है कोई बहू तो कभी सबके साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के नन्हे बच्चे भी गाते हैं।

The traditional festival of chhattisgarh was celebrated on Tuesday with pomp.

भोजली का क्या अर्थ है:

भोजली जाने वाली इसका अर्थ है भूमि में जल हो यही कामना करती है। महिलाएं इस गीत के माध्यम से इसीलिए भोजली देवी को अर्थात प्रकृति की पूजा करती हैं। छत्तीसगढ़ में महिलाएं धान गेहूं जमा या उड़द के थोड़े दाने को एक टोकरी में बोती हैं। उस टोकरी में खाद मिट्टी पहले रखती हैं इसके बाद सावन शुक्ल नवमी को बो देती हैं। जब पौधे उगते हैं उसे भोजली देवी कहा जाता है।

The traditional festival of chhattisgarh was celebrated on Tuesday with pomp.

मुंगेली जिला के समीप ग्राम पंचायत कारेसरा के आश्रित ग्राम छुईहा में भोजली विसर्जन किया गया। बहुत ही प्रसन्न रूप से किया भोजली विसर्जन। छत्तीगढ़वासियों का चलती आ रही परंपरा को आज भी मानते हैं। ग्रामीणजन से बहुत हर्ष उल्लास से किया विसजर्न।

जिसमें प्रमुख रूप से ग्रामीणों के चाहने वाला भूतपूर्व सरपंच श्री कृपाल चंद्राकर , ईश्वर चंद्राकर, नीलकंठ चंद्राकर, पुस्पेंद्र चंद्राकर, गोलू चंद्राकर, अर्जुन चंद्राकर ग्रामवासियों के द्वारा बड़े उत्साह के साथ भोजली पूजन एवं भोजली विसर्जन किया गया।

पसंद आई खबर, तो करें शेयर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *