माता कौशल्या के मायके में भी श्रीराम जन्मभूमि भूमीपूजन का उत्सव मनाया गया।
चिरमिरी से अतुल शुक्ला की रिपोर्ट।
1986 में शिलान्यास के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार श्रीराम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के अवसर पर माता कौशल्या के मायके अर्थात छत्तीसगढ़ में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र महाराज जी के द्वार पर असंख्य दीप प्रज्वलित किए गए और भगवान श्रीराम के जयकारे के साथ जगह जगह देशभर में और माता कौशल्या के मायके अर्थात छत्तीसगढ़ जिसे हम सब दक्षिण कौशल के नाम से भी जानते हैं। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में प्रातः काल से छोटे-छोटे मंडलियों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शोभा यात्रा और राम नाम के जयकारे के साथ दीप प्रज्जवलित करके श्रीरामचंद्र जी के समक्ष दीप वंदना की एवं और समस्त स्थानों पर आतिशबाजी की गई है।
महामारी काल को देखते हुए देश एवं प्रदेश वासियों को घर से निकलकर खुशियां मनाने की उमंग चेहरे पर दिखाई दी लेकिन देश एवं प्रदेश के हित को देखते हुए लोगों ने घर पर रहकर ही दीपदान करने का निश्चय किया।
श्रद्धालुओं से बातचीत के दौरान लोगों ने कहा ,,,,, मैं ख़ुश हूँ, भावुक हूँ, नि:शब्द हूँ…
श्रीराम मंदिर के निर्माण की यह प्रक्रिया राष्ट्र को जोडऩे का उपक्रम है। यह महोत्सव है- विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का, नर को नारायण से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का, वर्तमान को अतीत से जोड़ने का और स्वयं को संस्कार से जोड़ने का। वचन के साथ दो शब्द के राम नाम के महत्व को याद करते हुए उनके आदर्श और उनके मर्यादित जीवन एवं पुरुषोत्तम को याद करते हुए दीपदान किए गए। भगवान श्रीराम नाम के जयकारे के साथ दीपों के माध्यम से बैकुंठपुर, कोरिया, सूरजपुर, बिश्रामपुर, जगह-जगह असंख्य दीप जलाएं चलाए गए।