सपा कार्यकर्ताओं ने तुलसी और गिलोय के पौधों को महिलाओं में किया वितरण।
वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।
वाराणसी। युवजन सभा प्रदेश अध्यक्ष श्री अरविन्द गिरी के निर्देश पर समाजवादी विचारक छोटे लोहिया के नाम से विख्यात स्वर्गीय जननायक पंडित जनेश्वर मिश्रा की 87वें जयंती पर समाजवादी पार्टी युवजनसभा पूर्व प्रदेश सचिव सत्यप्रकाश सोनकर सोनू, पूर्व पार्षद वरुण सिंह और ब्लाक प्रमुख प्रवेश पटेल द्वारा खुद को सुरक्षित रखने हेतु मास्क और पर्यावरण के साथ समाज को सुरक्षित रखने हेतु तुलसी और गिलोय के 87 पौधों का महिलाओं में वितरण सम्रत्थी मेमोरियल एकेडमी भगवानपुर में किया गया।
युवजनसभा पूर्व प्रदेश सचिव सत्यप्रकाश सोनकर सोनू ने कहा स्वर्गीय श्री जेनेश्वर मिश्र का राजनैतिक सफर वर्ष 1967 शुरू हो गया। वह आंदोलन के तहत जेल में थे तभी लोकसभा का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू और सालिगराम जायसवाल ने उन्हें फूलपुर से विजय लक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव लड़ाया। चुनाव सात दिन बाकी था तब उन्हें जेल से रिहा किया गया। उस चुनाव में जनेश्वर को हार का सामना करना पड़ा था।
विजय लक्ष्मी राजदूत बन गईं तो उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। इस पर 1969 में उपचुनाव हुआ तो जनेश्वर मिश्र सोशलिस्ट पार्टी से फिर मैदान में उतरे और जीते। पूर्व पार्षद वरुण सिंह ने कहा प्रख्यात समाजवादी विचारक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र पांच अगस्त 1933 को बलिया के बैरिया क्षेत्र के शुभनथहीं गांव में जन्में थे। वह 1953 में इलाहाबाद में पढ़ाई करने आए और डॉ.राममनोहर लोहिया के सम्पर्क में आने के बाद समाजवादी रंग में ही रंग गए। वह 1969 में पहली बार सांसद बने और 1977 में वह केंद्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री बनाए गए। 1989 में वह संचार राज्यमंत्री रहे। 1994 में राज्यसभा सदस्य बने और 1996 में उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया। परिवार में उनकी दो बेटियां मीना और शांति मिश्रा हैं।
सपा संरक्षक श्री मुलायम सिंह यादव स्वर्गीय श्री जनेश्वर मिश्र को अपना मार्गदर्शक मानते थे। उनकी हर जयंती को समाजवादी परिवार सामाजिक प्रेरणा दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। काशी विद्यापीठ ब्लाक प्रमुख प्रवेश पटेल ने कहा समाजवादी विचारधारा के प्रति उनकी दृढ निष्ठा के कारण वे ‘छोटे लोहिया’ के नाम से प्रसिद्ध थे। पांच अगस्त 1933 में बलिया में जन्में ‘छोटे लोहिया’ जनेश्वर मिश्र समाजवादी विचारधारा एवं बड़े आन्दोलनों के बड़े नेता थे। 1965 में मुलायम सिंह यादव उनके सम्पर्क में आये। 1966-67 में जब पहली बार मुलायम विधान सभा का चुनाव लड़े तब जेनेश्वर मिश्र उनके प्रचार में मजबूती से लगे रहे।
छोटे लोहिया पंडित जनेश्वर मिश्रा ने कभी अपने संघर्षों से मुंह नहीं मोड़ा। राहें चाहें कितनी भी कठिन हों उन्होंने उसका डटकर सामना किया। मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह में मतभेद होने पर जनेश्वर सपा नेता मुलायम सिंह यादव के आग्रह पर चौधरी साहब का साथ दिया। मिश्र ने कभी मुलायम की बातों को नहीं टाला।
नगर सचिव आलोक गुप्ता ने कहा डॉ.लोहिया और राजनारायण जी के बताये आदर्शों को जनेश्वर जी आगे बढ़ाने में लगे रहे। लोहिया और राजनारायण के विचार, उन्हीं की सादगी, उन्हीं का संघर्ष और उन्हीं के बताये हुए रास्ते पर जनेश्वर जी चल रहे थे। जो गरीब, पिछड़े, मजदूर और किसान उनके प्रति जो नांइसाफी हो रही है गरीबी-अमीरी की खाई बढ़ रही है। उसे पाटने का संकल्प जनेश्वर ने लिया था। कैंट विधानसभा सचिव संजय यादव ने कहा लोकसभा में पहुंचे तो राजनारायण ने उन्हें छोटे लोहिया का नाम दिया। उन्होंने कहा था कि डॉ.लोहिया की कमी को जनेश्वर ही पूरा करेंगे। वैसे इलाहाबाद में जनेश्वर को पहले ही लोग छोटे लोहिया के नाम से पुकारने लगे थे। फिर 1972 में फूलपुर से ही कमला बहुगुणा को हराया।
सपा नेता वीरेन्द्र यादव ने कहा जनेश्वर जी अपने जीवन के अंतिम समय तक समाजवाद के लिए संघर्ष करते रहे समाजवादी आन्दोलन के भविष्य पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने अपनी तत्कालीन सरकार में लखनऊ में एशिया का सबसे बड़ा पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क का निर्माण और जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना के अंतर्गत हजारों ग्रामों का सौंदर्यीकरण, बलिया और बिहार से जोड़ने के लिए जनेश्वर मिश्र सेतु का निर्माण, बलिया में जनेश्वर मिश्र पार्क और उनके सम्मान में तमाम योजनाओं को मूर्तरूप दिया।
जयंती मनाते हुए विचार रखने वालों में प्रमुख रूप से प्रवेश पटेल, वरुण सिंह, सत्यप्रकाश सोनकर सोनू, आलोक गुप्ता, संजय यादव, वीरेन्द्र यादव, सतीश पाल, बाबू सोनकर, रोहित शर्मा, किशन डाफी, अशरफ खां, विनय भट्ट, राजेश वर्मा गुड्डू मौजूद रहे ।