क्रांति फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सुझाए बनारस में कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के उपाय।
वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।
सुझाए गये 14-14 फार्मूला पर जिलाधिकारी महोदय करें विचार: ई०राहुल सिंह।
कंटेनमेंट जोन के बजाय कंटेनमेंट होम पद्धति अपनाने पर भी हो विचार – ई०राहुल सिंह।
वाराणसी। बनारस में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए क्रांति फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई०राहुल कुमार सिंह ने उपाय सुझाते हुए DM को सुझाए गये 14-14 फार्मूला पर विचार करने का आग्रह किया है। श्री सिंह ने एक विडियो जारी करते हुए कहा कि लगातार तमाम उपायों के बावजूद बनारस में कोरोना संक्रमण रूकने का नाम नहीं ले रहा है।
बनारस में लगातार मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसका साफ मतलब है कि अभी प्रशासन द्वारा किये जा रहे उपाय कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं। उन्होने कहा कि बनारस का नागरिक होने के नाते वो भी लगातार इस विषय को लेकर चिंतित हैं। इस विषय पर लगातार विचार करते रहे हैं कि किस प्रकार यहां बढ़ रहे संक्रमण को रोका या कम किया जा सकता है। इसी संबंध मे उन्होने न्यूजीलैण्ड देश का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यूजीलैण्ड की जनसंख्या लगभग बनारस के बराबर है तथा वहां कोरोना पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है।
न्यूजीलैण्ड ने तेज टेस्टिंग कर लोगों को उसी दिन रिपोर्ट उपलब्ध करायी तथा एक दिन के भीतर ही मरीज के सभी कांटैक्ट को ट्रेस कर उन्हें आईसोलेट करने का कार्य किया। इस बात को न्यूजीलैण्ड का प्रशासन भी मानता है कि अगर तेज टेस्टिंग के साथ तेज ट्रेसिंग और आईसोलेशन नहीं होगा तो तेज टेस्टिंग की पद्धति संक्रमण रोकने में उतनी कारगर सिद्ध नहीं होगी।बनारस में टेस्टिंग के आंकड़े तो बढ़े हैं परंतु रिपोर्ट मिलने में देरी, ट्रेसिंग और आईसोलेशन में देरी होने के कारण संक्रमण फैलता ही जा रहा है। चूंकि न्यूजीलैण्ड की जनसंख्या भले ही बनारस के बराबर हो परंतु वहां का सिस्टम बनारस के सिस्टम से ज्यादा प्रभावकारी है तथा इस बात को हम सभी को समझना होगा।
इसी कारण तेज टेस्टिंग पद्धति बनारस में वो कमाल नहीं दिखा पा रही है। तेज टेस्टिंग बहुत जरुरी है परंतु कुछ उपायों के साथ हो तो ये संक्रमण रोकने में प्रभावकारी होगी। उनके द्वारा सुझाए गये 14-14 फार्मूला पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि सामान्यत: जब कोई कोरोना महामारी नहीं थी तब हम अगर महीने के 28 दिनों को लेकर चलते हैं। सायान्य अवस्था में इन 28 दिनों में 4 रविवार और लगभग 2 छुट्टियां पड़ ही जाती हैं जिससे कामकाजी दिन घटकर मात्र 22 रह जाते हैं। इन 22 कामकाजी दिनों में हम प्रतिदिन 9 बजे से 5 बजे तक कार्य अवधि लेकर चलें तो प्रतिदिन हम 8 घंटे कार्य करते हैं। 22 दिनों में प्रतिदिन 8 घंटे कार्य करने पर लगभग हम कुल 176 घंटे कार्य करते हैं। अर्थात कुल 28 दिनों में सामान्य अवस्था में हमारे द्वारा 176 घंटे कार्य किया जाता है। अभी की स्थिति में हमें 28 दिनों को दो भागों में बराबर बराबर बांटना होगा।
पहले 14 दिनों में जनता को पूर्व सूचना देकर 14 दिनों का संपूर्ण लाकडाउन लागू करना होगा जिससे कोरोना की चेन को ब्रेक किया जा सके। इस लाकडाउन के दौरान आवश्यक गतिविधियां तथा सेवाएं पूर्व की तरह जारी रहेंगी। इस लाकडाउन से संक्रमण जहां जिस इलाके या मरीजों में रहेगा उसे वहीं रोका जा सकेगा। अगले 14 दिनों में हमे आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान देते हुए बढ़े हुए समय के साथ बाजारों को बिना किसी पाबंदी के सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खोलना होगा। अगर हम बाजारों को सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक खोल देते हैं तो प्रतिदिन 12 कामकाजी घंटे हमें मिलेंगे।
इन 14 दिनों में कोई रविवार या त्यौहारों की छुट्टी नहीं होगी जिससे सभी कार्य दिवसों पर कार्य हों। अगर गणना कि जाये तो इन 14 दिनों में हम 12 घंटे प्रतिदिन के हिसाब से कुल 168 घंटे कार्य कर पायेंगे जो सामान्य स्थिति से मात्र 8 घंटे कम है। इससे हमारी आर्थिक गतिविधियां भी नहीं रूकेंगी तथा कोरोना की चेन तोड़ने में भी प्रभावी कदम उठाये जा सकेंगे।14 दिनों के लाकडाउन के दौरान प्रशासन के पास भी अपनी सुविधाओं को सुधारने, टेस्टिंग, ट्रेसिंग और आईसोलेशन में गति लाने का पर्याप्त मौका मिलेगा। उन्होने कहा कि यह प्रक्रिया हमें तब तक जारी रखनी होगी जब तक कोरोना का कोई कारगर ईलाज न मिल जाये। इस प्रक्रिया से लगभग हम उतने ही घंटे कार्य करेंगे जितना कोरोना आपदा के आने से पहले करते थे।
श्री सिंह ने कंटेनमेंट जोन व्यवस्था समाप्त कर कंटेनमेंट होम व्यवस्था लागू करने पर भी विचार करने का आग्रह किया जिसमें मात्र मरीज के घर को ही बंद कराया जाये ना कि पूरे मुहल्ले को। श्री सिंह ने भौतिकी विज्ञान के घर्षण के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि जिस प्रकार तेज चलती हुई गाड़ी पर अचानक ब्रेक लगा देने पर गाड़ी रूकती नहीं बल्कि सरक जाती है तथा दुर्घटना हो जाती है जबकि अगर रूक रूक कर ब्रेक लगाया जाये तो गाड़ी जल्दी रूक जाती है तथा दुर्घटना होने से बच जाती है। उसी आधार पर ये 14-14 फार्मूला भी कार्य करता है।
श्री सिंह ने कहा कि यह प्रयोग अगर सफल होता है तो ज्यादा संक्रमण वाले जिलों मे भी इसे लागू किया जा सकता हैं।