शहर की सुंदरता पर दाग़ लगा रहे सड़क के गड्ढे।

शहर की सुंदरता पर दाग़ लगा रहे सड़क के गड्ढे।

शहडोल से मोहित तिवारी की रिपोर्ट

शहडोल। सड़कें जिसे जीवन रेखा कहा जाता है, लेकिन जब जीवन रेखा की शक्ल ही बदसूरत हो जाए तो यह लोगों के लिए काल बन जाती हैं। आतंकवाद और नक्सलवाद से कई गुना ज्यादा खतरा सड़कों में बने इन गड्ढों से है। किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में चलने के लिए यदि अच्छी सड़कें भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं तो यह न सिर्फ देश की जनता बल्कि लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक और अन्याय है। बरसात के इस मौसम में शहर के वार्ड नंबर 22 में सड़कों पर बने गड्ढ़े सभी के लिए मुसीबत बन गए हैं।

Potholes of the road putting scars on the beauty of the city.

राहगीर उसमें गिर कर आए दिन घायल हो रहे हैं। बारिश का पानी सड़क के गड्ढ़ों में जमा होने से आने जाने वालों को पता तक नहीं चल पाता है कि सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढ़े हैं। इस वजह से बाइक सवार ज्यादा संख्या में घायल हो रहे हैं। इसके बावजूद रहनुमा विकास का दावा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। काश! नगर के रहनुमाओं या अधिकारियों का ध्यान सड़क पर बने इन गड्ढ़ों की ओर जाता, जो शहर की सूरत बिगाड़ने के साथ जानलेवा भी हो गए हैं।

Potholes of the road putting scars on the beauty of the city.

अब को देश में एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं लेकिन आम आदमी का जिन सड़कों और रास्तों से सामना हो रहा है, वे बरसात में छोटे तालाब में तब्दील हो जाते हैं। गड्ढ़ा मुक्त सड़कों का दावा करने वाली सरकार को सड़क पर बने गड्ढे मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। कुछ इसी तरह के हालात हैं शहर के वार्ड नंबर 22 की सड़कों की।

Potholes of the road putting scars on the beauty of the city.

समाज सेवी सोनू द्विवेदी द्वारा बताया गया कि बरसात के मौसम में इन गड्ढे रूपी सड़क से निकलना बहुत मुश्किल है। पोल फैक्ट्री से बीज गोदाम एवम खाद्य विभाग के गोदाम बिजली ऑफिस के होने कारण इन रोड पर लगातार दिन में 100 से 150 ट्रक प्रतिदिन निकलते हैं जिसके कारण सड़को में बड़े बड़े गड्ढे हो गए है लेकिन लाख शिकायत करने के बाद भी प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जाता जिससे वार्ड वासियों एवं वहां से निकलने वाले राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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