तक्षशिला विश्वविद्यालय की मुक्ति के लिये विश्वशांति यज्ञ।
इस्लामी जेहादियों ने धर्मस्थलों के साथ गुरूकुलों को भी नष्ट किया।
वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।
वाराणसी। पातालपुरी सनातन धर्म रक्षा परिषद द्वारा पातालपुरी मठ, नरहरपुरा में आयोजित 11 दिवसीय हो रहे 108 बार हनुमान चालीसा हवनात्मक यज्ञ के आठवें दिन धर्मस्थलों के साथ भारत के प्राचीनतम गुरूकुलों को भी मुक्त कराने हेतु आहूति डाली गयी।
भारत के प्राचीनतम तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व का पहला विश्वविद्यालय था। जो भगवान श्रीराम के भाई भरत जी के पुत्र तक्ष के नाम पर बना था। मुस्लिम आक्रमण के समय कई गुरूकुलों को भी नष्ट कर दिया गया।
तक्षशिला विश्वविद्यालय अभी पाकिस्तान के रावलपिंडी के पास है। इस्लामी आक्रमणकारियों की धार्मिक नफरत की आड़ में तक्षशिला विश्वविद्यालय नष्ट हो गया। भारत के प्राचीन गौरव को प्राप्त करने के लिये सभी भारतभूमि को वापस लाना होगा।
इस्लामी जेहादियों से भारत को मुक्त कराने और तक्षशिला विश्वविद्यालय की पुनर्वापसी के साथ पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालकदास की अध्यक्षता में पांच वैदिक ब्राह्मणों आनन्द मिश्रा, श्रीराम तिवारी, कमलेश दूबे, रवि मिश्रा (पन्ना) एवं सुमित दीक्षित ने यज्ञ सम्पन्न कराया।
यज्ञ के मुख्य यजमान अयोध्या श्रीराम पीठ के केन्द्रीय व्यवस्था प्रमुख डा.राजीव श्रीवास्तव, अनाज बैंक की प्रबन्ध निदेशक अर्चना भारतवंशी एवं सुभाष मंदिर की पुजारी खुशी रमन भारतवंशी थीं।
इस अवसर पर डा.राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि इस्लाम के नाम पर विश्वभर में हुये बर्बादी का हिसाब लगाया जाना चाहिये। तक्षशिला, नालन्दा जैसे महानतम विश्वविद्यालयों को तोड़कर इस्लामी जेहादियों ने संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। अब धर्मस्थलों के साथ गुरूकुल को भी वापस पुनर्निर्माण कराना होगा। तभी भारत का गौरव वापस आयेगा।
हवनात्मक यज्ञ में प्रमुख रूप से सनी सिंह, गुलाबदास साहू, रवि जायसवाल, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दिनेश पाल, राशिद भारतवंशी, तबरेज भारतवंशी, अंकित, वत्सल आदि लोगों ने अनुष्ठान में आहूति डाली।