भारत ने मंगलवार को साफ किया कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और वहां सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यों को सरकार लगातार गति दे रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र में अपनी बात रखते हुए जेनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने कहा कि पड़ोसी देश जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतारने की लगातार नापाक कोशिशें करता रहा। इसके बावजूद सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया है। उन्होंने मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेचलेट के बयान पर खेद व्यक्त किया।
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बहस में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि भारत सभी मानवाधिकार को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कहा कि देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता और देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देते हुए मानवाधिकार के एजेंडे और इस पर बहस निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होनी और कराई जानी चाहिए।
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जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को 2019 में खत्म किए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस बदलाव की वजह से केंद्रशासित क्षेत्र के लोग उन्हीं मूलभूत अधिकारों को हासिल कर रहे हैं, जो अधिकार भारत के अन्य हिस्सों के लोगों के लिए हैं।