पानसेमल की सप्तश्रृंगी गढ़ पैदल यात्रियों की कोरोना को देखते हुए अनूठी पहल।

पानसेमल की सप्तश्रृंगी गढ़ पैदल यात्रियों की कोरोना को देखते हुए अनूठी पहल।

पानसेमल से मुकेश खेरे की रिपोर्ट।

49 वर्षो से लगातार जारी हैं ये कावंड़ यात्रा।

मध्यप्रदेश के अंतिम छोर और महाराष्ट्र से जुड़े पानसेमल नगर में जलगोन के श्री उखाजी महाराज द्वारा माता सप्तश्रृंगी को आराध्य मानकर कुछ एक पैदल यात्रियों के साथ माँ सप्तश्रृंगी कावड़ पदयात्रा की शुरुआत की गई थी जोकि निरंतर आज वर्ष तक जारी है।

A unique initiative given by the white footsteps of pansemal.

उखाजी महाराज का तो कुछ वर्षों पहले देहांत हो गया लेकिन इस यात्रा को एक सूत्र में पिरोये रखने का कार्य पानसेमल के विख्यात पण्डित श्री भटू उमाकांत कुलकर्णी व उनके साथियों द्वारा किया गया है।

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माता के भक्त प्रतिवर्ष इस यात्रा में बड़ी संख्या में सम्मिलित होते हैं। सप्तश्रृंगी माता का मंदिर महाराष्ट्र में नासिक के पास स्थित है। कैसे इस यात्रा की शुरुआत के दौरान उज्जैन की शिप्रा नदी से जल भरकर लाया जाता है और नवरात्रि के 9 वे दिन इस यात्रा को प्रारंभ कर कोजागिरी पूर्णिमा को यात्रा संपन्न होती है।

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इसी यात्रा के प्राथमिक चरण में दौड़कर इस जल को यात्रा के लिए कलश में भरकर लाया गया। कोरोना के दौरान अनूठी पहल और किस प्रकार होती हैं यात्रा। उज्जैन से पानसेमल आने में जो 7 दिन का समय लगता था। उसमें कोराना काल को देखते हुए यह यात्रा मात्र दौड़ कर 3 दिन में पूरी की गई।

जानते हैं हमारे संवाददाता मुकेश खैरे की विशेष रिपोर्ट में

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