नवरात्र के चौथे दिन माँ कुष्मांडा के दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़।

नवरात्र के चौथे दिन माँ कुष्मांडा के दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़।

वाराणसी से संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट।

आज के दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए।

वाराणसी। शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा के रूप के दर्शन पूजन का विधान है।

वाराणसी में माँ कुष्मांडा दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा के रूप में विद्यमान हैं। यहाँ माँ दुर्गा रूपी कुष्मांडा का भव्य अति प्राचीन मंदिर है। रात्री से ही यहाँ माँ कुष्मांडा के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

Large crowd of devotees came to pay obeisance to Mother Kushmanda.

यह विश्व प्रसिद्ध दुर्गा का मन्दिर है। इसीलिए यहां भक्तों की खासी भीड़ रहती है। यहाँ माँ को नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। माँ को चुनरी के साथ लाल अड़ौल की माला और मिष्ठान का भोग लगाया जाता है जिससे माँ अपने भक्तों को उनकी इच्छा के अनुरूप वरदान देती है।

Large crowd of devotees came to pay obeisance to Mother Kushmanda.

मान्यता हैं कि वह देवी जिनके उदर में त्रिविध तापयुक्त संसार स्थित है वह कूष्माण्डा हैं। देवी कूष्माण्डा इस चार जगत की अधिष्ठात्री हैं। जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय अंधकार का साम्राज्य था तब देवी कुष्मांडा जिनका मुखमंड सैकड़ों सूर्य की प्रभा से प्रदिप्त है उस समय प्रकट हुई।

Large crowd of devotees came to pay obeisance to Mother Kushmanda.

उनके मुख पर बिखरी मुस्कुराहट से सृष्टि की पलके झपकनी शुरू हो गयी और जिस प्रकार फूल में अण्ड का जन्म होता है उसी प्रकार कुसुम अर्थात फूल के समान मां की हंसी से सृष्टि में ब्रह्मण्ड का जन्म हुआ अत: यह देवी कूष्माण्डा के रूप में विख्यात हुई।

Large crowd of devotees came to pay obeisance to Mother Kushmanda.

माँ कुष्मांडा का निवास सूर्यमण्डल के मध्य में है। और यह सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं। इस दिन भक्त का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है, अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और शांत मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए।

Large crowd of devotees came to pay obeisance to Mother Kushmanda.

संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा कूम्हडे को कहा जाता है, कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण भी इन्हें कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है।

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