आप भी क़ुरबानी माफिया से बचें !

आप भी क़ुरबानी माफिया से बचें !

दोस्तों, आप और हम ईदुल अज़हा के मौक़े पर अपने रब की खुशनूदी हासिल करने और सुन्नत ए इब्राहीम अ स को अदा करने के लिए क़ुरबानी करते हैं। शरीयत ए मोहम्मदिया में अच्छे सहतमन्द क़िस्म का तंदरुस्त जानवर जिबह करने की ताकीद की गई है। नबी करीम हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुरबानी के जानवर की क़िस्म, तरीक़ा, गोशत की तक़सीम, वक़्त और फायदा सब कुछ बता दिया है। दुनिया भर में हर मुल्क और इलाके में मुसलमानों की जानिब से हस्बे हैसियत क़ुरबानी की जाती है।

चूँकि हम भारतीय मुसलमान अकसर ग़रीब होते हैं इसलिए हर मुसलमान पर न क़ुरबानी फर्ज़ है न कोई ज़बरदस्ती का बोझ है। जो दौलतमन्द धनवान साहिबे इस्तताअ़त मुसलमांन हैँ उन्हीं पर क़ुरबानी वाजिब है और वे करते भी हैं।

आजकल बढ़ती हुई मंहगाई ने आम इंसान की कमर तोड़ रखी है जिससे क़ुरबानी वाजिब होने के बाद भी बेशुमार मुसलमान बकरा नहीं खरीद पाते हैं इसलिए वे सात हिस्सों वाली बड़े जानवर की क़ुरबानी में हिस्सा लेकर अपना फर्ज़ अदा करते हैं। कुछ ऎसे भी मुसलमान होते हैं जो एक बकरा खरीद कर बाक़ी मेम्बर्स के नाम सामूहिक क़ुरबानी में लिखवा देते हैं।

लोगों की इस सहूलियत के लिए देशभर के मुताअ़द्दिद इदारे इज़्तिमाई क़ुरबानी का इंतेज़ाम करते आए हैं। अल्लाह पाक उनकी मुख्लिस मेहनत को क़ुबूल करे। मगर आज जबकि पूरे मुआशरे में ही मिलावट बेईमानी पैर पसार चुकी है ऎसे में इज़्तिमाई क़ुरबानी भी इससे बच नहीं सकी है।

अल्लाह पाक के अज़ीम अहकाम को अदा करने के लिए की जाने वाली इस मुक़द्दस इबादत में भी क़ुरबानी माफिया सक्रिय हो गये हैं। क़ुरबानी माफिया कम से कम क़ीमत का हिस्सा तय करके आम मुसलमानों से क़ुरबानी के नाम पर रुपया बटोरते हैं। इनके द्वारा सस्ती क़ुरबानी की दलील यह पेश की जाती है कि हम थोक में जानवर खरीदते हैं और गोश्त आपके आसपास तक़सीम न करने की दलील यह पेश की जाती है कि हम तो ग़रीब से ग़रीब ज़िले में क़ुरबानी करके गोश्त वहीं गरीबों को बांट देते हैं। मगर यह पूरा सच नहीं होता है। अब अगर कोई पढ़ा लिखा आदमी इनसे गोश्त का मुतालबा करता है तो फिर उससे बाज़ार भाव वाला क़ुरबानी का रेट लगा कर हिस्सा का पैसा लिया जाता है। इस कुर्बानी प्रतिस्पर्धा में मदरसे भी पीछे नहीं रहे अब वे भी गोश्त लेने वाला और न लेने वाला रेट रखने लगे हैं।

हालाँकि मदरसों के ज़िम्मेदारान तवील अरसे से यह खिदमत बखूबी अंजाम दे रहे हैं। कई उलेमा किराम की ज़ेरे निगरानी इस कुर्बानी का इनक़ाद किया जाता रहा है लेकिन फिर भी कुछ ईमानफरोश अफ़राद इज़्तिमाई क़ुरबानी में गड़बड़ करते हैं। यह हकीकत भी सबके सामने आ चुकी है। इस गौरखधन्दे में आवाम का एक दो हज़ार रूपए ठगाने से कुछ ज़्यादा नुकसान तो नहीं होता लेकिन उनका क़ुरबानी करने का अहम फर्ज़ अदा नहीं हो पाता है। अब अगर आपको बड़ी क़ुरबानी में हिस्सा लेना ही है तो नीचे लिखी बातों पर ध्यान रखें।

अपने देखे परखे ईमानदार इदारों में हिस्सा लिखाएं। अपने सामने ही क़ुरबानी करवाएं अगर कोई गोश्त देने का मना करे उसकी बाक़ायदा तहक़ीक़ करें। सात लोग मिलकर एक जगह खुद भी क़ुरबानी को कर सकते हैं।
क़ुरबानी को वाजिब समझ कर करें। बेगार या बोझ समझकर न करें। कुर्बानी के सस्ते हिस्से के लालच के चक्कर में फर्ज़ी लोगों के झांसे मे बिलकुल न आएं। बीमार, विकलांग सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए हुए जानवर जिबह न करें। सही और बेहतरीन कुर्बानी कीजिये।

हमारी इस पोस्ट का मक़सद भोली मासूम क़ौम को बेदार करना है। किसी की दिल आज़ारी करना मक़सद नहीं है और सही कुर्बानी करने की तरगीब दिलाना है…

पसंद आई खबर, तो करें शेयर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *