भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर आज मनाया जाएगा ‘‘जनजातीय गौरव दिवस’’

Bhagwan, birsa munda, national day, tribal bhagwan,भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर आज मनाया जाएगा ‘‘जनजातीय गौरव दिवस’’

भारत के समृद्ध इतिहास में भगवान बिरसा मुंडा का नाम एक ऐसे वीर योद्धा और समाज-सुधारक के रूप में अंकित है, जिन्होंने अपने जीवन को जनजातीय समाज की उन्नति और उनके अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया। देश में हर साल 15 नवम्बर को उनकी जयंती पर भारत में राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल उनकी शहादत और योगदान को याद करने का है, बल्कि यह जनजातीय समुदाय की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, अनवरत संघर्ष और स्वाभिमान का उत्सव भी है।

भगवान बिरसा मुंडा का जीवन और उनका संघर्ष।

बिरसा मुंडा जी का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड के उलीहातू गांव में एक साधारण मुंडा परिवार में हुआ था। उनका जीवन बेहद कठिनाइयों से भरा था और उन्हें बाल्यावस्था से ही आर्थिक संघर्षों का सामना करना पड़ा। सामाजिक असमानता, अत्याचार और विदेशी शासकों द्वारा जनजातियों पर निरंतर हो रहे शोषण ने बिरसा मुंडा के अंतर्मन को विद्रोह की भावना से भर दिया। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा लागू जमींदारी प्रथा, धर्मांतरण और जनजातियों के पारम्परिक जीवन पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया।

भगवान बिरसा मुंडा द्वारा उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व।

भगवान बिरसा मुंडा ने ‘उलगुलान’ नामक जनजातीय विद्रोह का नेतृत्व किया, जो अंग्रेजी शासन और उनके द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ था। उलगुलान का अर्थ है महान विद्रोह। इस आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा लागू की गई भूमि नीतियों, जबरन धर्मांतरण और जनजातियों की पारम्परिक जीवनशैली में दखल देने वाले कानूनों के खिलाफ आवाज उठाना था। भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व में इस आंदोलन ने पूरे क्षेत्र में जनक्रांति की लहर पैदा कर दी और उन्हें ‘धरती आबा’ या धरती पिता या धरा पितृ के रूप में सम्मानित किया जाने लगा।

भगवान बिरसा मुंडा का समाज सुधारक के रूप में महान योगदान।

भगवान बिरसा मुंडा केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने तत्कालीन जनजातीय समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे अंध-विश्वास, जाति-भेद, नशाखोरी, जातीय संघर्ष और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाई। उन्होंने अपने अनुयायियों को शिक्षा का महत्व समझाया और उन्हें एकता में रहने का संदेश दिया। बिरसा मुंडा ने रसाइत नामक एक धार्मिक आंदोलन भी चलाया, जिसमें उन्होंने अपने अनुयायियों को आचार-विचार की शुचिता, सादगी और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

भगवान बिरसा मुंडा ने राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस की स्थापना।

वर्ष 2021 में केन्द्र सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य भगवान बिरसा मुंडा और अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का सम्मान करना है। इस दिन देशभर में जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर, उनकी परंपराओं और उनके गौरवशाली इतिहास को समझने और सम्मानित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिवस जनजातीय समाज के संघर्षों और उनके योगदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

भगवान बिरसा मुंडा का भारतीय स्वातंत्र्य आंदोलन में योगदान।

भारतीय स्वातंत्र्य आंदोलन में भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अतुलनीय है। वे न केवल अपने क्षेत्र की जनजातियों के नेता थे, बल्कि उनके संघर्ष और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भी एक नई दिशा दी। उनके उलगुलान आंदोलन ने अन्य जनजातीय समुदायों को भी संगठित किया और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी करने की प्रेरणा दी। भगवान बिरसा मुंडा मात्र 24 साल 7 महीने की अल्पायु में 9 जून 1900 को वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी विरासत आज भी जनजातीय समाज के दिलों में जीवित है और उन्हें एक महान क्रांतिकारी जननायक के रूप में याद किया जाता है।

राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस का महत्व।

राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस का महत्व केवल बिरसा मुंडा के योगदान को याद करने तक सीमित नहीं है। यह जनजातीय समाज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का जश्न मनाने का भी दिन है। जनजातीय समाज ने भारत के इतिहास में अहम भूमिका निभाई है। यह गौरव दिवस उनकी सांस्कृतिक धरोहर, संघर्षों और उपलब्धियों का सम्मान करता है। यह अवसर सभी भारतीयों को यह याद दिलाने का भी है कि जनजातीय समाज भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण व अभिन्न हिस्सा है और उनके योगदान को हमें सदैव संजोकर रखना चाहिए। भगवान बिरसा मुंडा का जीवन प्रेरणा का स्रोत है, जो हमें साहस, संघर्ष और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का संदेश देता है। राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस हमें उनकी शिक्षाओं, राष्ट्रप्रेम और उनके संघर्ष को याद करने और जनजातीय समाज के अधिकारों और सम्मान के प्रति संवेदनशील बने रहने के लिए प्रेरित करता है। जनजातीय समाज के स्वाभिमान और उनके अधिकारों की रक्षा में भगवान बिरसा मुंडा का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस उनके प्रति हमारी कृतज्ञता, आदर और श्रृद्धांजलि का प्रतीक है।

पसंद आई खबर, तो करें शेयर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *