ठाणे भिवंडी
शासन की लापरवाही उजागर।
कैैंसर मरीज के साथ ट्रिपल सीट बाइक पर मुलुंड से युवक पहुंचा भिवंडी।
भिवंडी वैश्विक महामारी आपदा की घड़ी में लाखों लोग एक दूसरे की मदद को जुटे होने के बावजूद मुलुंड से भिवंडी आने वाले कैंसर ग्रस्त मरीज के परिवार को कोई एंबुलेंस न मिलने से ट्रिपल सीट में बैठने का दु:ख झेलकर भिवंडी पहुंचने का दु:खद मामला प्रकाश में आया है।
शासन प्रशासन की बड़ी चूक उजागर हो गई। आपदा की घड़ी में एक दूसरे की मदद करने में जुटे लोगों के अमानवीय कृत्य को देखकर कई गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
गौरतलब हो कि भिवंडी स्थित पद्मा नगर क्षेत्र निवासी विरस्वामी कोंडा को गले में कैंसर हुआ था।
उपचार हेतु पत्नी लक्ष्मी ने डॉक्टरों की सलाह पर मुंबई स्थित टाटा अस्पताल में एडमिट कराया था।
20 हजार रुपये जमा किये जाने के बावजूद टाटा अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन नहीं किया और दो माह बाद आने अन्यथा अन्यत्र ऑपरेशन कराए जाने को कहा। मरीज का ऑपरेशन मुलुंड स्थित आशीर्वाद अस्पताल में लाखों रुपया खर्च कर कराया गया।
एक सप्ताह के बाद हुए लाकडाउन में ही अस्पताल प्रबंधक नें मरीज को घर ले जाने को कह कर डिस्चार्ज कर दिया।
लाकडाउन से आवागमन बंद होने, जांच हेतु होने वाली भागदौड़ से बचाव हेतु पत्नी लक्ष्मी ने गुरुद्वारा की शरण लिया लेकिन एक सप्ताह में ही गुरुद्वारा प्रबंधक ने भी कमरा खाली करने का आदेश दिया।
निराश लक्ष्मी ने पति को लाने हेतु कई जगहों पर एम्बुलेंस चालकों से संपर्क साधकर भिवंडी पहुंचाए जाने का आग्रह किया लेकिन 4, 5 हजार से कम कोई तैयार नही हुआ।
जिससे मजबूर होकर रात के अंधेरे में कैंसर पीड़ित विरस्वामी कोंडा का लड़का सामान बांधकर मां बाप को मोटर साइकिल पर ही बैठाकर भिवंडी लेकर आया।
कई जगहों पर पूछताछ हुई लेकिन किसी ने भी मरीज परिवार की मदद किये जाने की कोई जहमत नहीं उठाई।
नाकाबंदी में लगी पुलिस ने कॉर्न स्टार्च तो जरूर की लेकिन मरीज के नाक में लगी प्लास्टिक की नली देख कर के उसे आगे जाने के लिए छोड़ दिया गया।
मुलुंड से भिवंडी करीब 25 किलोमीटर की दूरी तय कर आने वाले कैंसर पीड़ित परिवार की मदद हेतु कोई भी अधिकारी, कर्मचारी, समाज सेवी संगठन आगे नहीं आया जो बेहद दु:खद व गंभीर प्रश्न है।
ब्यूरो रिपोर्ट मुस्तकीम खान भिवंडी।