भोपाल
राजधानी भोपाल के अयोध्या बायपास को लेकर 20 साल पहले तय एक नियम ने आज यहां 8000 पेड़ों के काटने की स्थिति बनाई है। बढ़ती आबादी और ट्रैफिक का अनुमान लगाते हुए 1995 में इस रोड की चौड़ाई 66 मीटर तय कर दी थी। आबादी के साथ रोड बनी और अनुमतियां भी यहां 66 मीटर की जगह छोड़कर दी गई, जिससे ग्रीनरी विकसित हुई। अब मास्टर प्लान में तय चौड़ाई को ही आधार बनाकर चौड़ीकरण तय किया और यहां पेड़ों की कटाई प्रस्तावित की गई।
रविवार शाम पांच बजे करेंगे चिपको आंदोलन
पेड़ों को बचाने पर्यावरण प्रेमी चिपको आंदोलन(Chipko movement) करेंगे। 18 मई शाम पांच बजे पर्यावरण प्रेमियों को बायपास पर एकत्रित होने का आह्वान किया गया है। पेड़ों को बचाने रक्षासूत्र बांधे जाएंगे। प्रशासन को इस आंदोलन की सूचना दी है। इस पर प्रशासन यहां उचित इंतजाम भी कर रहा है।
प्रदर्शन को लेकर रणनीति भी बनाई जा रही है। बैठकों का दौर भी चल रहा है। पर्यावरणविद् उमाशंकर तिवारी ने बताया कि पिछले दिनों शिवाजी नगर में बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया कि 18 मई की शाम को अयोध्या बायपास पर आंदोलन किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल होंगे। विकास जरूरी है, पर हरियाली के नाम पर ऐसा नहीं होने देंगे। एनएचएआई को प्रोजेक्ट में बदलाव करना चाहिए। ताकि, प्रोजेक्ट भी पूरा हो और पेड़ भी न काटे जा सके।
इसलिए 10 लेन बनाया जा रहा अयोध्या बायपास बता दें कि इस रोड पर 3 ब्लैक स्पॉट हैं, जहां साल भर में 30-35 लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए सड़क को सर्विस लेन मिलाकर 10 लेन किया जा रहा है। विरोध की आशंका को देखते हुए एनएचएआई ने हाईकोर्ट और एनजीटी में कैविएट दायर की है। ताकि न्यायालय कोई भी स्टे देने से पहले एनएचएआई का पक्ष सुना जाए।
हाउसिंग बोर्ड ने विकसित की कॉलोनियां
मास्टर प्लान में आवासीय सह व्यावसायिक गतिविधि के लिए तय इस क्षेत्र को अयोध्या नगर के तौर पर हाउसिंग बोर्ड ने इसे विकसित किया। बोर्ड के विकास से निजी डेवलपर भी सक्रिय हुए और आवासीय व व्यावसायिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बन गया। आनंद नगर व अयोध्या बायपास के नाम से ये रोड पहचाने जाने लगी। अब 8000 पेड़ कटाई से ये फिर चर्चा में है।
पेड़ों को बांध चुके रक्षासूत्र इससे पहले रविवार की शाम को भी लोगों ने प्रदर्शन किया था। बड़ी संख्या में लोगों रत्नागिरी तिराहे पर पहुंचकर पेड़ों को रक्षासूत्र बांधे थे। साथ ही उन्हें बचाने का संकल्प लिया था। आयोजन की अगुआई श्रमिक नेता दीपक गुप्ता ने की। उन्होंने कहा- यह सिर्फ पेड़ों की लड़ाई नहीं है, बल्कि हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। हम इन पेड़ों को कटने नहीं देंगे। गुप्ता ने खुद पेड़ों को रक्षासूत्र बांधते हुए आंदोलन की शुरुआत की।