सीबीडीटी ने 4,250 करोड़ रुपये के 10.2 लाख से भी अधिक रिफंड एक सप्ताह में ही जारी कर दिए
कोविड-19 महामारी की मौजूदा स्थिति में करदाताओं की मदद करना मुख्य उद्देश्य
कोविड-19 महामारी की मौजूदा स्थिति में करदाताओं की मदद के लिए 5 लाख रुपये तक के लंबित आयकर रिफंड जारी करने संबंधी सरकारी निर्णय (8 अप्रैल 2020 का प्रेस नोट देखें) को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आज कहा कि उसने 14 अप्रैल 2020 तक लगभग 4,250 करोड़ रुपये के 10.2 लाख से भी अधिक रिफंड जारी कर दिए हैं। इतना ही नहीं, ये रिफंड वित्त वर्ष 2019-20 में 31 मार्च 2020 तक जारी किए गए कुल 1.84 लाख करोड़ रुपये के 2.50 करोड़ रिफंड के अतिरिक्त हैं।
सीबीडीटी ने यह भी कहा कि लगभग 1.75 लाख और रिफंड को इसी सप्ताह जारी करने की तैयारी है। ये रिफंड जारी होने के बाद केवल 5-7 कार्य दिवसों में ही करदाताओं के बैंक खातों में सीधे जमा कर दिए जाएंगे। हालांकि, लगभग 1.74 लाख मामलों में करदाताओं की ओर से उनकी बकाया कर मांग के संबंध में ईमेल जवाब का इंतजार किया जा रहा है। इसके लिए एक रिमाइंडर ईमेल भेज कर उनसे 7 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है, ताकि रिफंड की प्रोसेसिंग उसी के अनुसार हो सके।
उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग की ये रिमाइंडर ईमेल वास्तव में करदाताओं के हित में हैं क्योंकि इसमें रिफंड जारी करने से पहले उनसे अपनी बकाया मांग, अपने बैंक खातों और किसी भी तरह की कमी/असंतुलन को दूर करने की पुष्टि करने को कहा गया है।
सीबीडीटी ने अपील करते हुए कहा है कि यह करदाताओं के हित में है कि वे जल्द से जल्द इस तरह की ईमेल का जवाब दें, ताकि रिफंड की प्रोसेसिंग हो सके और फिर इसके बाद उन्हें जारी किया जा सके। सीबीडीटी ने करदाताओं से अनुरोध किया है कि वे संबंधित ईमेल को पढ़ें और आयकर विभाग को तुरंत जवाब देने के लिए अपने ई-फाइलिंग एकाउंट को लॉग-इन करें।
सीबीडीटी ने यह भी कहा है कि रिफंड की प्रोसेसिंग शुरू करने हेतु 7 दिनों के भीतर करदाताओं को जवाब देने के लिए सीबीडीटी द्वारा भेजी गई कम्प्यूटरीकृत ईमेल के संबंध में सोशल मीडिया सहित कुछ मीडिया में सवाल उठाए गए हैं। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि ये करदाताओं के साथ संवाद के लिए आवश्यक सामान्य प्रक्रिया है, ताकि दोषपूर्ण आईटीआर एवं प्रथम दृष्टया समायोजन पर उनका जवाब मिल सके और करदाताओं द्वारा किए गए दावों के संबंध में उनकी ओर से पुष्टि की जा सके। इस तरह के सभी मामलों में करदाताओं द्वारा त्वरित जवाब देने से आयकर विभाग उनके रिफंड दावों की प्रोसेसिंग में तेजी ला सकेगा।
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