न्यूयॉर्क टाइम्स से / काेराेना के डर से माता-पिता दूसरे टीके लगवाने भी नहीं जा रहे अस्पताल, दुनियाभर में 10 कराेड़ बच्चाें पर बीमारियाें का खतरा
डाॅक्टराें ने चेताया, टीके लगवाना जरूरी, क्रम टूटने से प्रतिराेधक क्षमता कम हाेने का डर
जेन हाॅफमैन. काेराेनावायरस के चलते लगाए गए लाॅकडाउन से हर गतिविधि थम गई है। परिजन कोरोना के डर से डाॅक्टराें के पास नहीं जा रहे और गंभीर बीमारियाें से बचाने के लिए कराेड़ाें बच्चाें काे टीके नहीं लग पा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञाें काे डर है कि इस तरह परिजन दूसरी स्वास्थ्य समस्या का बीज बाे रहे हैं।
टीकाकरण की दर खतरनाक रूप से घटी है, इससे कराेड़ाें बच्चाें में चेचक, कुकर खांसी और जीवन काे खतरे में डालने वाली अन्य बीमारियाें का खतरा पैदा हाे गया है। संक्रामक राेगाें पर बनी अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कमेटी के सदस्य डाॅ. सीन टी. ओ’लीरी के मुताबिक, ‘यदि टीकाकरण में ऐसी ही गिरावट बनी रही ताे आशंका है कि काेविड-19 के साथ टीकाें से राेकी जाने वाली बीमारियाें भी फैलने लगें।’
पीडियाट्रिक इलेक्ट्राॅनिक हेल्थ रिकाॅर्ड्स कंपनी द्वारा अमेरिका के 1000 क्लिनिक से जुटाई गई जानकारी के अनुसार 16 फरवरी के मुकाबले अप्रैल के पहले हफ्ते में चेचक, गलगंड राेग और रूबेला के टीकाकरण में 50%,डिप्थीरिया और कुकर खांसी के टीकाें में 42% और एचपीवी के टीकाकरण में 73% की गिरावट आई है।
यही नहीं, सरकार द्वारा निशुल्क लगाए जाने वाले टीकाें में भी मार्च की शुरुआत से ही गिरावट देखी गई। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने हाल ही में रिपाेर्ट में बताया था कि दाे दर्जन से अधिक देशाें में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम राेकना पड़ा है। इससे करीब 10 कराेड़ बच्चे बीमारी के मुहाने पर खड़े हैं। सेंटर फाॅर डिसीज कंट्राेल एंड प्रिवेंशन ने डाॅक्टराें से अपील की है कि वे बच्चाें का टीकाकरण शेड्यूल बनाए रखें।
साभार : भास्कर