सिलवानी। लॉकडाउन में डॉक्टर ने सीमित संसाधनों के बीच बचाई बच्चे की जान।
सिलवानी संसाधनों के मामले में पीछे भले ही रही हो लेकिन समय समय पर यहाँ के लोगों ने अपने जज्वे और कार्यशैली से कीर्तिमान स्थापित किया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सिलवानी अपनी प्रभावी छवि बना रहा है। हुनर संसाधनों का मौहताज नहीं होता। सीमित संसाधन हुनर को नहीं छीन सकते। मजबूत इरादे अपने कार्य के प्रति ईमादारी और लगन से मिलती है सफलता।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिलवानी में पदस्थ डॉ.इंसाफ खान जरनल सर्जन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि हुनर कभी संसाधनों का मोहताज नहीं होता। सिलवानी में एक बार फिर कुछ ऐसा ही मामला सामने आया जब शिवजी नगर सिलवानी में लॉकडाउन के दौरान दो बच्चों के आपस में खेल में एक बच्चे की गर्दन में लकड़ी की चोट लग गई। लकड़ी गर्दन में इतनी अंदर तक चली गई कि बच्चे की जान खतरे में आ गई।
आनन फानन में बच्चे की माँ उसको लेकर सरकारी अस्पताल पहुँची। जहाँ डॉ.इंसाफ खान ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए सीमित संसाधनों में बच्चे का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया।
ऑपरेशन प्रक्रिया के बाद गर्दन में अंदर लगभग 12 इंच की लकड़ी को निकालने में सफलता प्राप्त की।
सिलवानी जैसी जगह पर सीमित संसाधनों में इस प्रकार का गंभीर प्रकृति का ऑपरेशन करना अद्भुत कार्य कौशल का जीता जागता उदाहरण है।
डॉक्टर इंसाफ खान की अद्भुत कार्य कुशलता एवं जज़्बे को सिलवानी वासियों का सलाम।
ब्यूरो रिपोर्ट मिथलेश मेहरा।