बैतूल। एक माह तक बैंकर से चने पहुँचाकर की वानरों की सेवा।
बैतूल से इमरान खान की रिपोर्ट।
एक दिन किसी को भोजन देने की बात हो तो कोई भी इस सेवा का लाभ उठा लेता है लेकिन एक माह तक लगातार 18 किलोमीटर दूर जाकर किसी को भोजन देकर आने की बात हो तो शायद ही कोई हामी भरेगा। ऊपर से इंसानों के लिए नहीं। मूक प्राणी बंदरो के लिये। शायद ही बहुत कम लोग होंगे जो ऐसा कार्य करते हो।
माँ शारदा सहायता समिति द्वारा प्रतिदिन एक माह तक मरमझिरी बैंकर इंजन से धराखो के जंगल में स्टेशन के पास रह रहे सैकड़ो बंदरों के लिए प्रतिदिन चने फुलाकर भिजवाए जाते थे।
यह सेवा अप्रैल, मई तक चली। संस्था के शैलेन्द्र बिहारिया ने बताया कि कोमल बामने, नितेष मालवीय द्वारा रोज मरमझरी बैंकर तक चने पहुँचा दिए जाते थे और बैंकर इंजन से ये चने धराखो तक बंदरों के पास पहुँच जाते थे।
हो गई थी चार बंदरो की मौत। पयरव में यहाँ 4 बंदरों की मौत हो गई थी।
गर्मी में जंगल के पेड़ पौधे भी सुख जाते हैं जिससे उनकी भोजन की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती।
असज जंगलों से चार, चुरनी, भीलवा जैसे पेड़ तो खत्म ही हो गए हैं। चार बंदरो की मौत से सामिति ने चने भिजवाने शुरू किए थे।
चने की उपज मिली दान में। संस्था के प्रयास, बंदरों की सेवा हेतु दिनेश कुंभारे, पंजाबराव गायकवाड़, गुड्डू ठाकुर से चने प्राप्त हुवे थे।
बैंकर इंजन बना सेवा का माध्यम। कहते हैं सेवा कार्य में आगे बढ़ो तो सब मददगार बनते जाते हैं ऐसे ही मददगार बने इंजन चालक जिन्होंने प्रार्थना करने पर भूखे बंदरों को भोजन कराने के कार्य में हाथ बंटाया और चने को निर्धारित जगह तक रोज पहुंचाने में मदद की।