कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के 86 वे स्थापना दिवस पर ऑनलाइन कांफ्रेंस।

कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के 86 वे स्थापना दिवस पर ऑनलाइन कांफ्रेंस।

मुलताई से अफ़सर खान की रिपोर्ट।

समाजवादियों ने एक स्वर में कहा देश को बचाने के लिए समाजवाद ही एकमात्र विकल्प।

श्रमिक कल्याण बोर्ड में जमा 50 हज़ार करोड़ प्रवासी मज़दूरों पर खर्च करे सरकार।

22 मई को श्रमिक संगठनों द्वारा की जा रही हड़ताल का समर्थन करेंगे समाजवादी।

कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के 86 वें स्थापना दिवस पर ऑन लाइन सोशलिस्ट कांफ्रेंस की शुरुआत करते हुए डॉ.सुनीलम ने आज़ादी के आंदोलन में शहीद हुए 50 हज़ार राष्ट्र भक्तों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यदि डॉ.लोहिया जीवित होते तो वे लॉकडाउन को दरकिनार कर प्रवासी मज़दूरों के साथ खड़े होते। डॉ.सुनीलम ने 22 मई को श्रमिक संगठनों द्वारा की जा रही हड़ताल का समर्थन किया।

मुम्बई से युसूफ मेहर अली सेंटर की गुड्डी ने- स्वंत्रता सेनानी डॉ.जीजी परीख का संदेश का वाचन किया। हम समाजवादी संस्थाएं का परिचय दिया।
डॉ जीजी परीख ने समाजवादियों से अपनी जरूरतें कम करने, संघर्ष के साथ निर्माण के कार्यों पर ध्यान देने और बिना सत्ता में काबिज हुए भी समाज हित और राष्ट्रहित में अधिकतम योगदान करने की अपील की।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने समाजवादियों से अपेक्षा विषय पर कहा कि देश की वर्तमान परिस्थिति में जो गैर बराबरी देश के रास्ते पर श्रमिकों के तौर पर दिखाई दे रही है। उस गैर बराबरी और पूंजीवाद को चुनौती देने के लिए समाजवाद एक महत्वपूर्ण विकल्प है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों से संवाद करके तथा अपने जीवन में बदलाव लाकर समाजवादियों को तानाशाही पूर्ण ताकतों को चुनौती देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जातिवादियों और धर्मांध ताकतों से मुकाबला करने के लिए समाज के बीच जाकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने रेल व्यवस्था का इस्तेमाल क्यों नहीं किया यह सरकार से पूछा जाना चाहिए।

प्रोफेसर आनंद कुमार ने देश के सामने चुनौतियाँ और समाजवादी आदर्शों की नयी प्रासंगिकता विषय पर कहा कि समाजवादियों को भुलना होगा कि सत्ता मिलेगी तब समाजवाद आएगा। सत्ता की सीमा होती है, जीवन में समाजवाद की सोच को लाना होगा। खुद को बदलना होगा उन्होंने कहा कि आज भारत का निर्माण करने वाले मजदूरों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं।
भारत की मौजूदा दुर्दशा, विशेषकर श्रमजीवी वर्ग की असहायता की असली वजह हमारा पूँजीवादी सत्ता तंत्र है। बिना सर्वजनहिताय, सर्वजनसुखाय को सम्भव और साकार करने वाली राजनीतिक दिशा अपनाएं। इस दुर्दशा से निजात मिलने वाला नहीं। इसके लिए समाज के वंचित हिस्सों की आवाज़ बनने से समाजवादी सोच को नयी प्रासंगिकता मिलेगी।

उन्होंने कहा कि फ़िलहाल चुनाववाद और संसदवाद के दुहरे आकर्षण के कारण समाजवादी अपनी पहचान खो रहे हैं।

उन्होंने कहा कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की ८७ वीं जयंती के अवसर पर आत्मविश्वास के साथ आत्म समीक्षा कर समाजवादियों को अपने पुरखों द्वारा बनायी गई कसौटियों को फिर से अपने निजी और सार्वजनिक आचरण का आधार बनाना चाहिए और अपनी वैचारिक पूँजी का विस्तार करके मौजूदा समस्याओं के समाधान का प्रयास करना चाहिए।

प्रफुल्ल सामंतरा ने वैश्विक संकट: समाजवादी विकल्प विषय पर कहा कि 90 के दशक के बाद से हमारी प्राकृतिक संसाधनों एवं सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है। जल, जंगल और जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, इससे लड़ने के लिए समाजवादीयों को बदलाव पसंद ताकतों के साथ व्यापक मोर्चा बनाना चाहिए।

ऊर्जा एवं पर्यावरण विशेषज्ञ सोम्या दत्ता ने कहा कि आज जो प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति निर्मित हो रही है वह प्रकृति के दुरुपयोग का परिणाम है। इस संकट का सबसे ज्यादा असर कमजोर वर्ग पर पड़ता है। प्राकृतिक संसाधनों पर केवल मनुष्य का ही नहीं सम्पूर्ण जीव जगत का अधिकार है।

पूर्व मंत्री कमल मोरारका ने उपभोक्तावाद पर अंकुश विषय पर बोलते हुए कहा कि जीवन जीने के लिए पूंजी जरूरी है, पूंजीवाद नहीं। बाजार जरूरी है बाजारवाद नहीं क्योंकि जिसके पास पूंजी ज्यादा होगी उसकी पूंजी दुगुनी होगी और जिसके पास नहीं है उसके पास नहीं रहेगी। ऐसी स्थिति में पैसे वाले और धनवान बनेंगे और गरीब और गरीब होता जाएगा। आर्थिक विषमता की स्थिति उत्पन्न होने का भी यही कारण है।

सपा पूर्व विधायक अनूप सांडा ने समाजवादी आंदोलन: भविष्य के कार्यक्रम और संगठन विस्तार विषय पर कहा कि समाजवादी आंदोलन गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों पर आधारित था। विगत 5-6 वर्षों में राष्ट्रवाद की परिभाषा में विकृति आई है जो एक ओर धार्मिक असहिष्णुता को जन्म देती है दूसरी ओर भारतीय वर्ण व्यवस्था थी। उस वर्ण व्यवस्था के परिणाम स्वरूप कुछ विशिष्ट जातियों को जो विशेषाधिकार मिले थे उन विशेषाधिकारों को प्राप्त करने की लालसा सभी वर्गों में पैदा हो गई है।

समाजवादी नेता अरुण श्रीवास्तव ने लोकतंत्र को सार्थक बनाने के लिए चुनाव सुधार की आवश्यकता विषय पर कहा कि लोकतंत्र के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तम्भ विधायिका ने आज अपनी विश्वसनीयता खो दी है, इसका प्रमुख कारण भ्रष्टाचार है। नेता करोड़ों रूपये में पार्टियों की टिकट खरीद कर, पैसे से ही वोट भी खरीदता है। जो नेता नोट के बदले वोट लेता हो उसे जनता से क्या लेना देना होगा।उन्होंने कहा चुनाव आयोग पर चुनाव सुधार पर निर्भर होने के बजाय चुनाव सुधार को जन आंदोलन में तब्दील करने की आवश्यकता है।

कोचीन के पूर्व महापौर केजे सोहन ने समाज को अधिक समतावादी बनाने में पंचायतीराज और सहकारिता की भूमिका को महत्वपूर्ण बतलाते हुए कहा कि समाजवादियों ने 1934 से लगातार पॉवर टू पीपुल
के दर्शन के साथ काम किया है, दोनों क्षेत्रों को मजबूत करने पर उन्होंने बल दिया।

श्रमिक नेता सुभाष भटनागर ने निर्माण मजदूरों के कानून को बचाने के लिए संघर्ष की अपील करते हुए कहा कि निर्माण बोर्ड 1996 से बना है। सरकार अब निर्माण बोर्ड को ही बंद करना चाहती है जिसमें 50,000 करोड़ रुपये जमा हैं। जिसका इस्तेमाल प्रवासी मज़दूरों के हित में किया जाना चाहिए था।

असंगठित श्रमिकों की समस्याओं पर बोलते हुए चेन्नई की गीता रामकृष्णन ने देशभर में 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को 35 किलो अनाज तेल के साथ 5000 रुपये तत्काल उपलब्ध कराने की मांग की।
उन्होंने कहा कि कल्याण बोर्ड में जमा राशि का सबसे पहले उपयोग तमिलनाडु के उन 4 लाख प्रवासी मज़दूरों के लिये किया जाना चाहिये जो रजिस्टर कराने के बाद भी अभी तक अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं।

एडवोकेट आराधना भार्गव ने समाजवादी आंदोलन में महिलाओं नेत्रियों के अहम योगदान पर बोलते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अरूणा आसफ अली और कमला देवी चट्टोपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने आजीवन शोषण के खिलाफ, महिला उत्थान हेतू, शराब पर प्रतिबंध लगाने हेतु कठिन संघर्ष किया। महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों के बराबर मेहनत कर समाज निर्माण में भागीदार रही है, यह समाजवादी आंदोलन का इतिहास बतलाता है।

बिहार के पूर्व मंत्री रामजीवन सिंह ने कहा कि भविष्य में समाजवादियों की भूमिका लगातार बढ़ने वाली है क्योंकि उसने अधिक जुझारू और वैचारिक स्पष्टता वाली कोई दूसरी जमात नहीं है।

कश्मीर समस्या का हल विषय पर बोलते हुए शेख अब्दुल रहमान, पूर्व सांसद, जम्मू कश्मीर ऐतिहासिक तथ्यों का ज़िक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को तत्काल सभी पक्षों से बात करनी चाहिए। उन्होंने धारा 370 और 35 ए को तत्काल बहाल करने की मांग की।

आर्थिक समता सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों की चर्चा करते हुए एसएम जोशी फाउंडेशन के सचिव सुभाष वारे ने कहा कि सत्ताधीशों में इक्षाशक्ति का अभाव है, संसाधनों की कोई कमी नहीं है।

कोरोना संकट को, एक पूंजीवादी संकट बताते हुए आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ नीरज जैन ने विस्तार से आंकड़ों के साथ विचार रखते हुए एक प्रतिशत अमीरों कर दो प्रतिशत कोरोना कर लगाने की मांग की।
सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस कल सुबह 9 :30 बजे शुरू होकर शाम 6 बजे तक चलेगी, कॉन्फ्रेंस का समापन राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय अध्य्क्ष गणेश देवी करेंगे। कांफ्रेंस को जनता वीकली और समागम के पेज पर देखा जा सकेगा।

डॉ सुनोलम
9425109770/ 9981409770

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