फ़ादर्स डे पर विशेष आलेख अवनीश चौबे की क़लम से

फादर डे पर खास:

महाराजपुर से अवनीश चौबे की रिपोर्ट।

पिता एक ऐसा शख्स जिसने सिर्फ देना सीखा है। बचपन में जब कोई बच्चा चलना सीखता है तो सबसे पहले अपने पिता की उंगली थामता है।

A special article on home day
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नन्हा सा बच्चा पिता की उंगली थामे और उसकी बांहों में रहकर बहुत सुकून पाता है।

बोलने के साथ ही बच्चे जिद करना शुरू कर देते हैं और पिता उनकी सभी जिदों को पूरा करते हैं और इन्हीं सब के बीच वो अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चों की परवरिश में लगा देते हैं ऐसे होते है पिता।

फादर डे पर क्या गिफ्ट दे अपने पिता को:

हर पिता की जिंदगी में एक समय ऐसा आता है जब भागदौड़ भरी इस जिंदगी में बच्चों के पास उनके लिए समय नहीं होता है। जबकि पिता को लगता है कि बच्चे उनसे बात करें उनसे मिले तो हम लोगों को अपने पिता के लिए हर रोज समय देना होगा।

उनसे प्यार से बात करना ही उनके लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है। कोई बेटा अपने पिता को अपने से दूर न करें यही उनके लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है।

क्या है फादर्स डे का इतिहास:

फादर्स डे को मनाने को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार का कहना है कि इसे 1907 में सबसे पहली बार वर्जीनिया में मनाया गया था। हालांकि, इसका आधिकारिक विवरण नहीं है।

इसके लिए कुछ इतिहासकार 19 जून 1910 को आधिकारिक मानते हैं। इसकी शुरुआत सोनेरा डोड ने की थी। जब सोनेरा छोटी थी तो उनकी मां का निधन हो गया। उस समय सोनेरा डोड के पिता विलियम स्मार्ट ने उनकी परवरिश की।

विलियम स्मार्ट ने सोनेरा डोड को मां की कमी कभी खलने नहीं दी। जब सोनेरा बड़ी हुई, तो उसने मदर्स डे की तरह फादर्स डे मनाने पर बल दिया।

उन्हीं दिनों सोनेरा ने पिता के सम्मान में फादर्स डे पहली बार मनाया था, जिसे 1924 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने आधिकारिक मंजूरी दे दी।

हालांकि 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने इसे जून महीने के तीसरे रविवार को मनाने की सहमति दी। उस समय से हर साल यह जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है।

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