खाचरोद। स्व पर से निकल स्वर्ग में बसने के लिए चातुर्मास मिला है।
नागदा से संजय शर्मा की रिपोर्ट।
आत्मा से परमात्मा बनने, अहम से हम, नर से नारायण, शिव में से शंकर बनने के लिए मानव भव मिला है। अभ्यास बिना डिग्री नहीं मिलती, योग बिना चातुर्मास नहीं मिलता।
आपको आपकी आत्मा सुखी, सफल बनानी है तो स्व में रमना होगा। दु:खी बनाना है तो पर में रमना होगा। यह चिंतन आपको करना है कि हमें किस ओर जाना हे। यह विचार साध्वी श्रीजी अविचल दृष्टा श्रीजी मां ने व्यक्त करें।
इसके पूर्व परम पूज्य सम्राट श्रीमद विजय जयंत सेन सुरीश्वर जी मा. सा के पट्टधर श्रीमद विजय नित्य सेन सुरीश्वर जी मां सा और आचार्य श्री जयरत्न सुरीश्वर जी मां.सा की आज्ञानुवर्ती साध्वी श्री रत्ना श्रीजी और शशिकला श्रीजी मा सा की सुशिष्या साध्वी श्री अविचल दृष्टा श्रीजी आदि ठाणा ७ का चातुर्मास मंगल प्रवेश नगर की पुण्य धरा में आज प्रात:8.30 बजे ढोल ढमाकों के साथ समाजजनों की पावन उपस्थिति में उज्जैन दरवाजा स्थित अशोक टाकिज से हूआ।
चल समारोह उज्जैन दरवाजा से विक्रम मार्ग, मुखिया गली, ब्राह्मणिपुरा, कबाड़ी पूरा, चबूतरा चौराहा, गणेश देवली से होता हुआ महावीर मार्ग स्थित जैन पोषधशाला पहुँच धर्म सभा में परिवर्तित हुआ।
इसके पूर्व श्री संघ और चातुर्मास समिति द्वारा साध्वी मंडल के समक्ष गवली कर पोषधशाल में प्रवेश करता। इस शुभ अवसर पर राजेन्द्र महिला परिषद की शोभा घोचा, अनिता वागरेचा, निशा वनवट, बबिता भारतीय ने मंगलाचरण के साथ स्वागत गीत प्रस्तुत किया। उसके बाद साध्वी जी द्वारा प्रवचन हुवे।
इसी प्रकार समाजजनों ने शासन के आदेशानुसार नियमों का पूर्ण रूप से पालन करते हुवे मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर जिनशाशन की शोभायात्रा में सम्मिलित हुवे।
कार्यक्रम का संचालन धर्मचंद नांदेचा द्वारा किया गया। यह जानकारी चातुर्मास मीडिया प्रभारी नमित वनवट द्वारा दी गई।