वाराणसी में नगर निगम के तुगलकी फरमान को मंत्री ने किया ख़ारिज।

विप्र समाज ने मंत्री को साधुवाद दिया। धर्मार्थ मंत्री के आदेश का किया स्वागत। मंत्री ने विप्र समाज के निवेदन को किया स्वीकार।

वाराणसी से सन्तोष कुमार सिंह की रिपोर्ट।

वाराणसी। गुरुवार की सुबह समाचार पत्रों में गंगा घाट के संदर्भ में एक खबर प्रमुखता से छपी जिसमें नगर निगम का आदेश दर्शया गया जिसके अंतर्गत घाट के तीर्थ पुरोहितों (पंडो) से सालाना शुल्क लेने का का प्रावधान था।

The minister turned down the tugalki farman of the municipal corporation in varanasi.

इस खबर को पढ़कर विप्र समाज, काशी के संयोजक आचार्य पवन शुक्ल ने अविलंब स्थानीय विधायक और उत्तर प्रदेश में धर्मार्थ राज्यमंत्री श्री नीलकंठ तिवारी से संपर्क किया।

आचार्य पवन शुक्ला ने मंत्री को काशी के घाटों, तीर्थ पुरोहितों की आजीविका से लेकर वर्ष पर्यंत इनके द्वारा किये जाने वाले कर्मकाण्ड के बारे में भी विस्तार से बताया और निवेदन किया कि नगर निगम द्वारा जारी शुल्क वसूलने के फरमान सर्वथा अव्यवहारिक है। जिसका असर सीधे तौर पर इन ब्राह्मण पुरिहितों के जीवन यापन पर पड़ेगा।

देश देशांतर से लोग काशी आते हैं और अपने भाव को गंगा तट पर समर्पित करते हैं। इस प्रकार का तुगलकी फरमान एक गलत संदेश देगा। अतः इस पर पुनर्विचार कर इसे वापस लिया जाय।

मंत्री नीलकंठ ने इस पर विप्र समाज के संयोजक को आश्वाशन दिया कि कुछ भी गलत नहीं होगा। देर शाम मंत्री ने जनहित में कमिश्नर और नगर आयुक्त से तत्काल इस अव्यवहारिक आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया। विप्र समाज ने मंत्री नीलकंठ तिवारी को साधुवाद देते हुए उनके निर्णय का स्वागत किया।

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