रामजन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास पांच अगस्त शुभ और शास्त्र सम्मत मुहूर्त है: ज्योतिषाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल।

रामजन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास पांच अगस्त शुभ और शास्त्र सम्मत मुहूर्त है: ज्योतिषाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल।

वाराणसी से सन्तोष कुमार सिंह की रिपोर्ट।

पराक्रमेश एवं छठवे भाव का स्वामी गुरु पूर्वाषाढ़ नक्षत्र पर स्थित है अतः यह एक सिद्ध एवं साधना पीठ के रूप में जगत में विख्यात होगा। भूलोक में मंदिर के साथ साथ नरेन्द्र मोदी का भी यश कीर्ति फैलेगा: ज्योतिषाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल।

The foundation stone of the ram janmabhoomi temple on 5th August is auspicious and scientific.(Photo source AgnichakrLiveNews)

वाराणसी। पांच अगस्त समय दिन 12 बजकर 15 पर अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के कर कमलों द्वारा होने वाली श्री राम मंदिर पूजन की मुहूर्त को लेकर काशी समेत अन्य स्थानों के विद्वानों एवं ज्योतिषियों ने इस मूहूर्त को ग़लत बताया है तो वहीं काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल ने इसे सर्वथा शुभ और शास्त्र सम्मत बताया है।

ज्योतिषाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल ने कहा कि भाद्रपद मास में शिलान्यास मुहूर्त नहीं होता है। उनका यह कथन सिर्फ पूर्णिमान्त पंचांग पर आधारित है किन्तु अमांत पंचांग के अनुसार श्रावण मास ही रहेगा अन्य सभी जैसे सूर्य का कर्क राशी में भ्रमण, बुधवार दिन, द्वितिया तिथि, शतभिषा नक्षत्र आदि शिलान्यास मुहूर्त में ग्राह्य है। त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल ने कहा कि गुजरात महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में अमांत पंचांग ही चलता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से 7 ज्योतिर्लिंग अमांत पंचांग ही मान्य हैं। महाराष्ट्र में घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर ये तीन ज्योतिर्लिंग है। गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर ये दो ज्योतिर्लिंग है। दक्षिण भारत में एक रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग है। आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जिसमें पूर्णिमान्त पंचांग में पूर्णिमा को महिना अंत हो जाता है। कृष्णपक्ष से नए माह की शुरुवात होती है। किन्तु अमांत पंचांग में अमावस्या को महिना समाप्त होता है तथा शुक्ल पक्ष से अगले महीने की शुरुवात होती है।

त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल ने कहा ये है तर्क:
उत्तर भारत और गुजरात के पंचांगों में 15 तिथियों का अंतर रहता है। इसी कारण जहां उत्तर भारत का पंचांग चलता है, वहां भाद्रपद मास में जन्माष्टमी मनाई जाती है, जबकि महाराष्ट्र, दक्षिण भारत और गुजरात में सावन माह में ही ये पर्व आता है। चंद्र मास और सूर्य मास की वजह से है पंचांग भेद है। उत्तर भारत और मध्य भारत में चंद्र मास माना जाता है, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में सूर्य मास मान्य है।

मुहूर्त का ज्योतिषीय विश्लेषण:
5 अगस्त 2020 समय दोपहर 12.15 पर अयोध्या के आकाश में तुला लग्न 17.59.30 अंश पर रहेगा। त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल ने बताया कि लग्न का उप नक्षत्र स्वामी सूर्य दशवे भाव में बुध के साथ स्थित है। अतः यह मंदिर दीर्घायु है हजारो वर्षो तक विराजमान रहेगा। लाभेश सूर्य भाग्येश एवं व्ययेश बुध के साथ दशवे भाव में है अतः यह मंदिर यश एवं ऐश्यर्व युक्त रहेगा. देश विदेश के श्रद्धालु का श्रद्धा एवं पूजा केंद्र रहेगा।

धनेश मंगल छठवे भाव में रेवती नक्षत्र पर है अतः धन वैभव से परिपूर्ण रहेगा भारत के समृद्ध मंदिरों में गिनती होगी। भगवान श्रीराम का यश पताका भूलोक में फैलेगा।

पंचमेश एवं चतुर्थेश शनि वक्री होकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में स्थित है। अतः मंदिर का सम्पूर्ण उद्द्येश्य पूर्ण होगा। हिंदुत्व का अलख जागेगा। जिस उद्द्येश्य से मंदिर का निर्माण हो रहा है वह समस्त उद्द्येश्य पूर्ण होगा। धर्म की जय जयकार होगी।

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