मजाक समझ रहे लाकडाउन, घर से निकल रहे लोग।

बरेली

मजाक समझ रहे लाकडाउन, घर से निकल रहे लोग।

सारी दुनिया कोरोना संक्रमण से थर्राई हुई है। सरकार ने सम्पूर्ण भारत को लाकडाउन कर सख्त निर्देश दिये।

कलेक्टरों के व्दारा सभी ज़िलों की सीमाओं को सील कर दिये गये।

कोई भी अपने घरों से बाहर न निकले, अति आवश्यक कार्य हो तो अनुमति लेकर ही निकलें।

इसके बाबजूद भी जनता कोरोना जैसी महामारी को हल्के में लेकर लाकडाउन का मखौल उड़ाती दिख रही है।

इसे प्रशासन की ढील कहें या लोगों की लापरवाही सुबह से शाम तक दोपहिया वाहन बेखोफ दौड़ते देखे जा सकते हैं।

सब्जी बाजार को बन्द कर दिया गया पर सब्जी विक्रेता मोहल्लो की गलियों में हाथ ठेलों को कतारबद्ध खड़ा कर सब्जी बेच रहे हैं। इन हाथ ठेलों पर दस बजे तक भीड़ बनी रहती है।

यही हाल बैंक आफ इण्डिया का है। एक कतार में लोग बगैर सोशल डिस्टेन्स के सट कर खड़े हुये हैं।

ये लापरवाही का सिलसिला सुबह से शाम तक चलता रहता है। ऐसे में कोरोना से लड़ना क्या संभव है। इस लापरवाही का नतीजा देश को भुगतना पड़ सकता है।

ब्यूरो रिपोर्ट यशवंत सिंह सराठे।

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