तहसील और जनपद पंचायत में अंगद की तरह पैर जमाकर बैठे बाबू।

तहसील और जनपद पंचायत में अंगद की तरह पैर जमाकर बैठे बाबू।

कुण्डली मार कर बैठे बाबू बिना घूस नहीं लिखते फाइल।

गरीब तबका परेशान, रसूखदार मालामाल।

उदयपुरा से मिथलेश मेहरा की रिपोर्ट।

उदयपुरा। जिले की तहसीलों में दशकों से जमे बाबुओं का तबादला भी नहीं हो सका है। दशकों से तहसीलदारों की रीडर की कुर्सी पर कुण्डली मारकर बैठे बाबू बिना रिश्वत लिये फाइल को आगे नहीं बढ़ाते जिससे गरीब तबका बाबूराज से परेशान हो गया है। रसूखदार लोग मालामाल हो रहे हैं। प्रदेश की रायसेन जिले के राजस्व विभाग में ज़मीनों की बड़ी हेराफेरी भी जमकर की जाती रही है। साथ ही जमीन संबंधी मामलों में कार्पोरेट जगत की कम्पनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों एवं स्थानीय भूस्वामियों के प्रकरणों में तहसीलों में कुण्डली मारकर बैठे बाबुओं द्वारा जमकर वसूली की जाती रही है। जानकारी के अनुसार उदयपुरा तहसील और जनपद के साथ टप्पा उप तहसील देवरी में दशकों से जो बाबू जमे हुए हैं। वहीं बाबू आज भी तहसीलदारों को रीडर पद पर अंगद की तरह जमे हुए हैं। इन बाबुओं को दशकों बाद भी जिला प्रशासन स्थाान्तरण नहीं कर पाया है। जिससे सावित होता है कि इन बाबूओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। जानकारी के अनुसार उदयपुरा तहसील मुख्यालय में पदस्थ बाबुओं का तबादला भी किया जाता है तो तहसीलदार उन्हें रिलीव नहीं करते। जबकि कई बार प्रशासन स्तर पर ट्रांसफर किया गया लेकिन उक्त बाबू की राजनीतिक पकड़ एवं प्रशासनिक पकड़ होने के चलते भारमुक्त नहीं किया जा सका। जिले की तहसीलों मेें दशकों से पदस्थ बाबुओं की ही मर्जी चलती है। किस राजस्व मामलों में किस पार्टी का पक्षकार से समझौता एवं लेनदेन करनी है। यह फाइल की फैक्ट फाइण्ड की सही और न्याय नहीं बल्कि रीडरों की मर्जी तय करती है। तहसील कार्यालयों में अपना फोकस एवं वजूद बनाने वाले इन बाबुओं को हटाने प्रशासनिक अधिकारियों को भी पसीने आ जाते हैं। यदि इन्हे हटाने की कार्यवाही प्रस्तावित की गई तो राजनीतिक सिपहसालारों को सिफारिश आने लगती हैं।

Babus seated as an angad in tehsil and district panchayat.

बिना रिश्वत नही होता काम:

उदयपुरा और देवरी में दशकों से पदस्थ बाबुओं द्वारा कम्पनियों से तो दूर आम गरीबों लोगों से भी बिना पैसे लिए कोई भी फाइल आगे नहीं बढ़ाते जिससे गरीब तबका दिनों दिन परेशान होता जा रहा है। जबकि रसूखदार लोग बाबुओं की सेटिंग का जमकर फायदा उठा रहे हैं लेकिन इन बाबुओं के कारण शासन प्रशासन की न्याय निर्णयन की मंशा को गहरा आघात पहुंच रहा है यदि उदयपुरा तहसील में जाँच कराइ जाये कई बंधक काटे गए। जबकि इन कर्जदारों की बैंकों में राशि शेष है। दिन भर दलालों का डेरा तहसील में रहता है।

नहीं हो रहा तबादला नीति का पालन:

राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी कर्मचारी एक स्थान पर तीन साल से ज्यादा समय तक नहीं पदस्थ रह सकता। विहित प्राधिकारी एक स्थान पर तीन साल से ज्यादा एवं जिले या तहसील में 5 से 10 साल से ज्यादा समय तक पदस्थ रहने वाले बाबुओं, लिपिकों, कर्मचारियों का स्थानान्तरण कर सकते हैं। लेकिन जिले में बाबुओं की मर्जी के आगे किसी की नहीं चल पा रहे हैं। जानकारी के अनुसार उदयपुरा जनपद पंचायत में भी 68 ग्राम पंचायत आती हैं। वर्षो से पदस्थ बाबुओं को काला पीला करने का पूरा ज्ञान है। इनका प्रशासन द्वारा स्थानान्तरण नहीं किया जा रहा है जिससे आम लोगों की भावनाओं पर कुठाघात लग रहा है।

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