वाराणसी में नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन के लगी भक्तों की भीड़।

वाराणसी में नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन के लगी भक्तों की भीड़।

वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।

वाराणसी। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन माता शैलपुत्री दरबार में भक्तों की रही भीड़। धर्म नगरी काशी में नवरात्री के नौ दिनों में देवी के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। जिसमें सबसे पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का विधान है। माँ का मंदिर काशी के अलईपुरा में स्थित है। गौरी रूप में माता मुखनिर्मालिका गौरी के दर्शन का शास्त्रों में वर्णन है।

A crowd devotees on first day Navratri in Varanasi to pay homage to Mata Shailaputri.

भगवती दुर्गा का प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्रीके रूप में है। एक हाथ में कमल पुष्प और दूसरे हाथ में अमृत कमंडल से अपने भक्तों पर मां आशीर्वाद बरसाती हैं।

राजा हीमराज हिमालय के यहां जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्री कहा जाता है। भगवती का वाहन वृषभ है। इन्हे पार्वती स्वरुप माना जाता है।

A crowd devotees on first day Navratri in Varanasi to pay homage to Mata Shailaputri.

ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी। नवरात्र में इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट मिट जाते हैं। माँ की महिमा का पुराणों में वर्णन मिलता है।

A crowd devotees on first day Navratri in Varanasi to pay homage to Mata Shailaputri.

राजा दक्ष ने एक बार अपने वाट यग्य किया और सारे देवी देवताओं को बुलाया मगर सृस्टि के पालन हार भोले शंकर को नहीं बुलाया। इससे माँ नाराज हुई और उसी अग्नि कुण्ड में अपने को भष्म कर दिया फिर देवी का सैल राज के यहा जन्म हुआ जिन्हें माता शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है। वाराणसी में माँ का अति प्राचीन मंदिर है। जहां नवरात्र के पहले दिन हजारों श्रद्धा लुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

A crowd devotees on first day Navratri in Varanasi to pay homage to Mata Shailaputri.

हर श्रद्धालुओं के मन में यही कामना होती है कि माँ उनकी मांगी हर मुरादों को पूरा करेंगी। माँ को चढ़ावे में नारियल और गुड़हल का फूल काफी पसंद है।

वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।

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