मोदी जी को भूपेश बघेल से सीखने की आवश्यकता है पहले भी कहा था- राजेश्री महन्त।
कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चूक हो गई जो नहीं होना चाहिए था।
देश की आर्थिक व्यवस्था में 2014 के पश्चात निरंतर गिरावट आई है यह चिंता का विषय है।
रेमडेसिविर का यदि कोई दूसरा विकल्प हो तो विशेषज्ञों को इस पर भी अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ राज्य ने विपरीत परिस्थितियों के पश्चात भी निरंतर उन्नति की ओर कदम बढ़ाया है। लाखों किसानो के कर्जा माफ करने के पश्चात भी यदि हम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो यह स्वागत योग्य कदम है। यह बातें श्री दूधाधारी मठ एवं श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास महाराज ने अभिव्यक्त की।
उन्होंने कहा कि पहले भी कहा था कि कुछ बातों में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से सीखने की आवश्यकता है। तब कुछ लोगों को यह बातें अच्छी नहीं लगी थी। अपनी बातों को पुनः दोहराते हुए यह कहना चाहता हूं कि कुछ बातें भूपेश जी की इतनी अच्छी है जिसका अनुसरण निश्चित रूप से केंद्र सरकार को करनी चाहिए। श्री भूपेश बघेल के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध कराने का जो निर्णय लिया गया है प्रशंसनीय है। यह कार्य तो केंद्र की मोदी सरकार को करना चाहिए था ताकि उनको इससे यश भी मिलता और देश के लोगों की जान माल की सुरक्षा भी हो जाती। उन्होंने कहा कि श्री भूपेश बघेल का यह कथन की नागरिकों की जीवन रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे हृदय को छू लेने वाली है। वास्तव में हम सभी की नागरिकता किसी राज्य की नहीं है, हम भारत के नागरिक हैं इसलिए भारत के नागरिकों को उनके जीवन की सुरक्षा का अधिकार केंद्र सरकार के द्वारा मिलनी ही चाहिए थी। कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री मोदी जी से चूक हो गई। कोरोना से भी बड़े हैजा, चेचक जैसे महामारी का सामना देश ने पंडित नेहरु, शास्त्री एवं इंदिरा जी के समय में पहले भी किया है लेकिन कभी भी टीकाकरण के लिए देश के नागरिकों को शुल्क देने की आवश्यकता नहीं पड़ी। यह तब की बातें है जब देश सैकड़ों वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी के पश्चात विकासशील अवस्था में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। देश की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत भी नहीं थी। भारतवर्ष की आजादी के 70 वर्षों के पश्चात हम अपने नागरिकों को महामारी के संकट काल में निःशुल्क वैक्सीन भी उपलब्ध कराने की स्थिति में यदि नहीं हैं तब हमें अपने देश की आर्थिक व्यवस्था पर चिंतन करने की आवश्यकता है। सन 2014 तक भारत विश्व की चौथी बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया था। जो 2018 के आते-आते सातवें स्थान पर पहुंच गई है। अब कोरोना महामारी के संक्रमण के पश्चात पता नहीं देश कौन से स्थान पर है लेकिन जैसा भी है हम इतना भी पीछे नहीं हैं कि अपने नागरिकों को उनकी जान की सुरक्षा के लिए आवश्यक दवाई भी उपलब्ध न करा सकें! इस पर मोदी जी को अवश्य विचार करना चाहिए। रेमडेसीविर इंजेक्शन की कमी के चलते पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल दिखाई दे रहा है। डॉक्टरों तथा विशेषज्ञों से अनुरोध है कि वे इस दवाई के विकल्प पर भी विचार करें जो लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके जिससे उनके जानमाल की सुरक्षा की जा सके। हम सब का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है, इस बात को कभी भी ना भूलें।
शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।