सुप्रीम कोर्ट के कठोर टिप्पणी के पश्चात केंद्र सरकार को सचेत हो जाना चाहिए- राजेश्री महन्त जी।

सुप्रीम कोर्ट के कठोर टिप्पणी के पश्चात केंद्र सरकार को सचेत हो जाना चाहिए- राजेश्री महन्त जी।

संवैधानिक संस्थाओं को अपने कर्तव्यों का निर्वाह विधिपूर्वक करनी ही चाहिए, देर आए दुरुस्त आए।

कोर्ट का केंद्र सरकार को यह पूछना कि संकट से निपटने के लिए कोई प्लान है या नहीं? बेहद संवेदनशील बातें हैं।

शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।

कोरोना महामारी के संक्रमण के चलते देश ने अपने जितने भी नागरिकों के प्राण गवा दिए वह तो वापस आने वाले नहीं हैं किंतु केंद्र सरकार को अब सतर्क होकर आगे आने वाले समय में बीमारी की भयावह स्थिति को रोकने के संपूर्ण प्रयास पर अपना ध्यान केंद्रित कर कार्य में लग जाना चाहिए। यह बातें श्री दूधाधारी एवं श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉ.महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग ने अभिव्यक्त की।

Constitutional institutions must carry out their duties lawfully, better late than never.

उन्होंने कहा कि देश की संवैधानिक संस्थाओं को अपने कर्तव्यों का निर्वाह विधि पूर्वक करनी ही चाहिए! सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार पर की गई टिप्पणी का स्वागत करते हुए राजेश्री महन्त जी ने कहा कि जब कोई भी सरकार अपने कर्तव्यों का उचित निर्वाह न कर पाता हो उस परिस्थिति में संवैधानिक संस्थाओं को निश्चित रूप से आगे आकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करनी ही चाहिए। जो टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान में की है वह इससे पहले आ गया होता तो निश्चित रूप से काफी लोगों के प्राण बच गए होते किंतु देर आए दुरुस्त आए, यह स्वागत योग्य है, राष्ट्र ने जो कुछ खो दिया उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती किंतु आने वाले समय में हम अपने नागरिकों को बचा सकें इस दिशा में भारत वर्ष के प्रत्येक नागरिकों को कार्य करना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई इस टिप्पणी पर कि सरकार के पास इस संकट से उबरने के लिए कोई प्लान है या नहीं? अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह संवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। कोर्ट सरकार से महामारी के उपचार या निदान की बातें नहीं केवल प्लान की बात पूछ रहा है! देश में इस महामारी को आए हुए 1 वर्ष बीत चुका है, दो लाख लोगों से ज्यादा की जान जा चुकी हैं। यदि सरकार की कार्यप्रणाली की वस्तु स्थिति यही है तो नि:संदेह केंद्र सरकार को इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है!

Constitutional institutions must carry out their duties lawfully, better late than never.

कोर्ट की इस बात का सबल साक्ष्य वर्तमान में यह है कि केंद्र सरकार ने एक ओर 18 से 44 वर्ष के लोगों को 1 मई से वैक्सीन लगाने की घोषणा कर दी है दूसरी ओर छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल तथा अन्य राज्य के सरकारों के द्वारा यह कहा जा रहा है कि वैक्सीन उन्हें उपलब्ध ही नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा केंद्र सरकार पर उनके प्लान के बारे में पूछना सौ प्रतिशत सही साबित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत की वर्तमान स्थिति पर अपनी चिंता जाहिर की है। इसलिए केंद्र सरकार को विषय विशेषज्ञों से गंभीर विचार विमर्श के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि देशवासियों की जानमाल की रक्षा की जा सके।

शिवरीनारायण से अशोक गुप्ता की रिपोर्ट।

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