सतनामी समाज को सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता के लिए सौंपा ज्ञापन।
मुंगेली जिला से पीताम्बर खांडे की रिपोर्ट।
मुंगेली। सतनामी समाज को सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता एवं 2021-22 के जनगणना में सतनाम धर्म का कालम पृथक सुरक्षित रखने मुंगेली जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
खबर मुंगेली जिला से है जहां पर अनुसूचित जाति महासंघ छत्तीसगढ़ के संस्थापक और संयोजक हरजीत सतनामी से मिली जानकारी के अनुसार भारत में सतनामियों की जनसंख्या करोड़ों में है जो सत्य, अहिंसा, विश्व शांति, बंधुत्व, समता मुलक सर्व प्राणी परोपकारी मानव मानव एक समान सतनाम धर्म के मानने वाले हैं। सतनाम धर्म में हिंसा, रूढ़िवादी वर्ण व्यवस्था का कोई स्थान नहीं है। सतनाम धर्म प्राकृतिक धर्म है 1795 में गुरु घासीदास जी ने मानव समाज विश्वशांति सर्व जीव के उत्थान के लिए सतनाम धर्म की स्थापना किया है। भारत देश की प्रथम जनगणना 1881 में संपन्न हुआ। जिसमें सतनामी सतनाम धर्म को क्रमांक 8 में उल्लेखित कर जनगणना किया गया था। सतनामीयों की सामाजिक संस्कार संस्कृति अन्य सभी धर्मों से पृथक हैं। भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है। जहां पर सभी जातियां संप्रदायों को आस्था के अनुरूप अपने धर्म को मानने की स्वतंत्रता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 में लिखित है कि भारत देश के नागरिक अपने आस्था के अनुरूप धर्म स्थापित कर सकता है। अनुसूचित जाति महासंघ छत्तीसगढ़ के संस्थापक और संयोजक हरजीत सतनामी का यह भी कहना है कि हम सतनामीयों की आस्था को ध्यान में रखते हुए सतनाम धर्म की संवैधानिक मान्यता प्रदान और 2021-22 की जनगणना प्रारूप में सतनाम धर्म लिखने के लिए स्वतंत्र कॉलम सुरक्षित रखने का आग्रह किया गया है।अनुसूचित जाति महासंघ छत्तीसगढ़ के द्वारा आज मुंगेली जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। इसकी प्रतिलिपि में राष्ट्रपति भारत सरकार, प्रधानमंत्री भारत सरकार, धार्मिक न्याय ट्रस्ट विभाग, जनगणना आयुक्त, राज्यपाल छत्तीसगढ़, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ सहित जिलाधीश को प्रतिलिपि भेजा गया। इस बीच उपस्थित रहे अनुसूचित जाति महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ समीर सतनामी, मुंगेली जिला विद्यार्थी संघ महामंत्री मंजीत सतनामी, विकास सतनामी, संदीप सतनामी, रंजीत सतनामी, लोरमी ब्लॉक मीडिया प्रभारी सुखबली सतनामी आदि।
मुंगेली जिला से पीताम्बर खांडे की रिपोर्ट।