सरदार हाजी अब्दुल कलाम साहब का हुआ निधन।
वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।
वाराणसी। बुनकर समाज को एक दुःख भरी खबर सुनने को मिली। बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार हाजी अब्दुल कलाम साहब का आज शाम चार बजे बीएचयू में इलाज़ के दौरान इंतेक़ाल हो गया। हाजी साहब अपने पीछे पूरा भरा परिवार छोड़ गए हैं। सरदार साहब को तीन पुत्र एवं तीन पुत्री हैं। सरदार साहब के बड़े पुत्र स्वालेह अंसारी ने बताया कि उनके वालिद साहब की रात में लगभग दो बजे अचानक तबियत बिगड़ गयी। हम सब इनको लेकर शुभम हॉस्पिटल गए तो वहां पर डॉक्टर ने बीएचयू के लिए रिफर कर दिया।
बीएचयू में इमरजेंसी में डॉक्टर ने भर्ती कर इलाज़ शुरू किया। सुबह तक तबियत कुछ ठीक हुयी तो डॉक्टर ने वार्ड में शिफ्ट कर दिया। दोपहर तक लोगों से बातचीत किये। शाम चार बजे अचानक तबियत बिगड़ी और उसी वक़्त उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली। वालिद के अचानक चले जाने से मेरा और पूरा बुनकर समाज गमजदा है। किसी को यकीन नहीं हो रहा है कि अब सरदार साहब हम सब के बीच नहीं रहे।
बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी के सद्र हाजी मुख्तार महतो साहब ने कहा कि बाईसी के सरदार हाजी अब्दुल कलाम साहब की इंतेक़ाल की खबर सुन कर यकीन नहीं हो रहा है। अभी चार साल पूर्व ही उनको बाईसी तंज़ीम की जिम्मेदारी हम सब ने दी थी और उन्होंने इतने कम वक़्त में अपने बुनकर समाज की भलाई और उनके उत्थान के लिए बहुत काम किये वो बहुत ही नेक दिल इंसान थे। उन्होंने हमेसा गरीबों और मजलूमों की मदद की। वो किसी गरीब की मदद एक हाथ से करते थे तो दूसरे हाथ को पता नहीं चलता था। आज उनके अचानक इंतेक़ाल से बुनकर समाज की बहुत बड़ी क्षति हुयी है। उनको चौक के सारे गद्दीदार बहुत आदर और सम्मान देते थे। वो गंगा जमुनी तहजीब की एक जिन्दा मिसाल थे। इस दुःख की घडी में हम सब उनके परिवार के साथ खड़े हैं। अल्लाह ताला उनके परिवार को दुःख सहने की शक्ति दे।
सरदार साहब की मिटटी 11 सितम्बर 2021 को सुबह 10:00 बजे क़दीमी कब्रितान अर्रा लद्धनपुरा पड़ेगी। नमाजे जनाजा ख्वाजपुरा के मैदान में अदा की जायेगी। परम्परा के अनुसार आज ही बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के काबीना की आपातकाल बैठक बुलाई गयी जिसमे बाईसी के सभी सदस्यों ने कार्यवाहक सरदार के रूप में गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा साहब को सर्व सम्मति से चुना। आज सरदार साहब के इंतेक़ाल के बाद उनके घर पर उनको देखने के लिए लोगों का तांता लगा था। जिसमें हिन्दू मुस्लिम सभी लोग मौजूद थे।
हाजी मंजूर, पूर्व विधायक हाजी अब्दुल समद अंसारी, हाजी हाफिज नसीर, सरदार नूरुद्दीन, हाजी इस्तियाक, अफरोज अंसारी, हाजी ओकास अंसारी, गुलशन अली, बाबूलाल किंग, हाजी महबूब अली, हाजी नेसार, हाजी अब्दुल रहीम, मोहम्मद हारुन, हाजी यासीन, हाजी बाबू, रेयाज़ अहमद, मौलाना शकील, छोटक सरदार मोईनुद्दीन, चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन, बारहो के सरदार हासिम अंसारी, अतीक अंसारी, इसरत उस्मानी, वीरेंदर सिंह, ओपी सिंह, राम सूरत, हाजी इस्माईल सहित सैकड़ों लोग इस मौके मौजूद थे।
वाराणसी से रोहित सेठ की रिपोर्ट।