सिवनी
मध्य प्रदेश को यूं ही सबसे अजब-गजब नहीं कहा जाता है. यहां के घोटाले भी अजीबोगरीब होते हैं. हाल ही में चम्मच घोटाला, डामर घोटाला और नगर निगम कचरा घोटाले के साथ-साथ बिहार की तर्ज पर धान घोटाला चर्चा में आया था और अब सिवनी जिले में सर्पदंश घोटाला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है. इस घोटाले में 47 मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार फर्जी मृत्यु का दावा कर शासन की राशि का गबन किया गया.
जब सांप के काटने से लोग एक बार नहीं, 20 से 30 बार मर रहे हों और सरकार हर बार उन्हीं को मुआवजा भी दे रही हो. इस गफलत में सरकारी अफसर समेत 46 लोगों ने सरकार के 11 करोड़ 26 लाख रुपये हड़प लिए. जब घोटाले का खुलासा हुआ तो शासन की नींद उड़ गई. हालांकि, 11 करोड़ सरकार के लिए बड़ी रकम नहीं, लेकिन घोटाले के तरीके से लोग हैरान हैं.
2019 से 2022 तक चला घोटाला
मध्य प्रदेश का सांप घोटाला सिवनी जिले प्रकाश में आया. यहां सर्पदंश की दवा में ठगी का खुलासा हुआ. इसके अलावा, फर्जी सर्पदंश मृत्यु दावों के जरिए 11.26 करोड़ रुपये की सरकारी राशि लूटी गई. सिवनी की केवलारी तहसील में 2019 से 2022 के बीच फर्जी सर्पदंश मृत्यु दावों के जरिए 11.26 करोड़ रुपये की ठगी की गई. चौंकाने वाली बात ये कि यहां एक शख्स रामकुमार को 19 बार और रमेश नाम के व्यक्ति को 30 बार मृत दिखाकर मुआवजा निकाला गया.
ऐसे हुआ पूरा घोटाला
मध्य प्रदेश सरकार सर्पदंश से मौत पर पीड़ित परिवारों को मुआवजा देती है. यह राशि 4 लाख रुपये होती है. इसी स्कीम का फायदा उठाकर भ्रष्ट लोग सक्रिय हो गए. केवलारी के रमेश को फर्जी दस्तावेजों के जरिए सांप काटने से 30 बार मरा दिखाकर मुआवजा लिया गया. इसी तरह राजकुमार व अन्य लोगों के साथ किया गया. इसके अलावा, सर्पदंश की दवाओं की खरीद में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है, जहां जरूरत से ज्यादा कीमत पर दवाएं खरीदी गईं या फर्जी बिल बनाए गए.
जांच में सहायक सचिव समेत 46 लोग शामिल मिले
Integrated Financial Management System (IFMS) और तहसील-कोषालय की लचर व्यवस्था ने इस ठगी को आसान बनाया. जबलपुर के वित्त और कोष विभाग की जांच के बाद ये खुलासा हुआ. मामले में एक सहायक सचिव की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. लेकिन, बाकी आरोपियों पर कार्रवाई अभी बाकी है.
निजी खातों में भेजी गई राशि
जबलपुर संभाग के वित्त विभाग की विशेष टीम द्वारा की गई जांच में खुलासा हुआ कि मुख्य आरोपी ने अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के खातों में राशि ट्रांसफर की. जांच अधिकारी ने कहा, शासन की राशि सीधे लाभार्थी खातों में न जाकर, निजी खातों में पहुंचाई गई. इससे साफ कि यह गबन सुनियोजित और संगठित तरीके से किया गया. यह रिपोर्ट अब सिवनी कलेक्टर को भेज दी गई है.
क्यों बार-बार घोटाले?
मध्य प्रदेश में बार-बार घोटाले सामने आने की वजह है कमजोर सिस्टम और जवाबदेही की कमी. IFMS जैसे डिजिटल सिस्टम में खामियां, तहसील और कोषालय की लापरवाही, और जांच में देरी ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया. सांप घोटाले में उदाहरण के तौर पर एक ही व्यक्ति को बार-बार मृत दिखाना सिस्टम की नाकामी को दर्शाता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि बायोमेट्रिक सत्यापन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग जैसे कदम उठाने होंगे.
ये काम भी करे सरकार
– फर्जी दावों की जांच तेज करें और सभी दोषियों को सजा दें.
– डिजिटल सत्यापन और सख्त ऑडिट सिस्टम लागू करें.
– घोटालों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासनिक सुधार करें.