नई दिल्ली
कोरोना वायरस कहें या कोविड-19 साल 2020 के बाद से इसका खौफ लोगों के बीच खूब देखने को मिला. इस महामारी से दुनियाभर में सैंकड़ों लोगों ने जान गवाईं. अभी लोग ढंग से कोविड-19 द्वारा मचाई गई तबाही को भूले भी नहीं थे के इस बीच एशिया के कुछ देशों में कोरोना के केस फिर से बढ़ने लगे हैं. सिंगापुर, हांगकांग और थाईलैंड में संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसकी वजह है ओमिक्रॉन का JN.1 वैरिएंट है जो बहुत जल्दी फैलता है और अब इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा रहा है.
सिंगापुर में 3 मई तक के हफ्ते में 14,200 नए कोरोना केस मिले, जबकि पिछले हफ्ते यह संख्या 11,100 थी. वहां अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी 30% बढ़ोतरी हुई है. इस वजह से वहां के हेल्थ ऑफिसर ज्यादा सतर्क हो गए हैं. हांगकांग में भी हालात अच्छे नहीं हैं. वहां कोरोना का फैलाव काफी ज्यादा बताया जा रहा है. हेल्थ ऑफिसर अल्बर्ट औ के मुताबिक, इस साल अब तक सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं. एक ही हफ्ते में 31 लोगों की मौत भी हुई है, जो एक साल में सबसे ज्यादा है. कई लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं.
भारत में अभी कोरोना के मामले कम हैं, लेकिन थोड़ी बढ़त जरूर हुई है. 19 मई तक 257 एक्टिव केस सामने आए हैं. आसपास के देशों में मामले बढ़ने की वजह से भारत के डॉक्टर और हेल्थ ऑफिर्स अलर्ट पर हैं और हालात पर नजर रख रहे हैं ताकि समय रहते कोई जरूरी कदम उठाया जा सके. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ओमिक्रॉन का ये नया वेरिएंट JN.1 क्या है? इसके लक्षण क्या हैं और ये कैसे फैलता है? चलिए जानते हैं.
JN.1 वैरिएंट क्या है?
JN.1 कोरोना वायरस का एक नया रूप है, जो ओमिक्रॉन से जुड़ा है. यह BA.2.86 नाम के पुराने वेरिएंट से निकला है, जिसे पिरोला भी कहा जाता है. इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले 2023 के आखिरी में हुई थी. इसके बाद यह अमेरिका, यूके, भारत, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में तेजी से फैल गया.
इस वेरिएंट में स्पाइक प्रोटीन (वायरस का वो हिस्सा जिससे वह शरीर की सेल्स से चिपकता है) में एक खास बदलाव (म्यूटेशन) हुआ है. इस बदलाव की वजह से यह वायरस ज्यादा तेजी से फैल सकता है. यह शरीर की उस इम्युनिटी को भी बेद सकता है, जो वैक्सीन लगवाने या पहले कोविड होने के बाद बनी थी.
कितना खतरनाक है JN.1?
फिलहाल के आंकड़ों के मुताबिक, JN.1 वेरिएंट ओमिक्रॉन के पुराने वेरिएंट्स की तरह ही है और इससे गंभीर बीमारी होने का खतरा बहुत कम है. अधिकतर लोगों में इसके लक्षण हल्के से मध्यम लेवल के ही देखे गए हैं. इनमें गले में खराश, बहती नाक, हल्का बुखार, थकान और खांसी जैसे लक्षण शामिल हैं. ये लक्षण पहले वाले ओमिक्रॉन वायरस से बहुत मिलते-जुलते हैं.
हालांकि, JN.1 की सबसे बड़ी चिंता इसकी तेजी से फैलने की क्षमता है. यह वेरिएंट बहुत आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, इसलिए इसके केस तेजी से बढ़ सकते हैं.
अभी तक डॉस्पिटल में एडमिट होने वालों की संख्या में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं देखी गई है, लेकिन फिर भी बुज़ुर्ग लोगों, पहले से बीमार लोगों और जिनकी इम्युनिटी कमजोर है उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है.
इस वेरिएंट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी और सतर्कता बहुत जरूरी है, ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके.
कोविड का नया वेरिएंट JN.1 क्या खतरे की घंटी
कोरोना एक बार फिर एशिया के कुछ हिस्सों में दस्तक दे रहा है। भारत में पिछले एक साल में सबसे अधिक 257 सक्रिय केस दर्ज किए गए हैं, जिससे लोगों में हलचल तेज हो गई है। हालांकि, AIIMS के एक्सपर्ट डॉ संजय रॉय का कहना है कि JN-1 एक साल पुराना वेरिएंट है, कोई नया वायरस नहीं है। न ही यह कोई नया स्ट्रेन है। पॉजिटिव केस इसलिए सामने आ रहे हैं क्योंकि टेस्ट किए जा रहे हैं। मौजूदा हालात में JN.1 को लेकर घबराने वाली बात नहीं है। अभी तक इसको लेकर साइंस यही कहता है कि यह कॉमन कोल्ड है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय का भी कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के एक्सपर्ट और कोरोना वैक्सीन ट्रायल के प्रमुख रहे डॉक्टर संजय रॉय ने बताया कि कोरोना फैमिली के हजार से भी ज्यादा वेरिएंट हैं। लेकिन, मुख्य रूप से सात ऐसे वायरस हैं जो इंसानों को प्रभावित करते हैं। 2002 तक कोरोना वायरस (CoV) इंसानों के लिए मामूली वायरस माना जाता था। लेकिन पिछले 20 से 25 सालों में इसके इफेक्ट को देखें तो कोरोना परिवार का 5वां वायरस सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) आया। इसके बाद इस परिवार का छठा वायरस मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (MERS-CoV) आया। अब इसका 7वां वायरस कोविड-19 है। जहां तक वर्तमान हालात की बात है तो अब यह कॉमन कोल्ड है। इसके ज्यादा खतरनाक होने का कोई एविडेंस अभी नहीं है।
वैज्ञानिक समझ के आधार पर करनी होगी बात
डॉक्टर संजय ने कहा कि साइंस की बातें तो साइंस के आधार पर ही होनी चाहिए। वट्सऐप से जानकारी लेकर बातें नहीं करनी चाहिए। JN.1 वेरिएंट में नया कुछ नहीं है। एक साल पुराना है। इसको लेकर इतनी बातें करने के पीछे कोई साइंस तो नहीं दिख रहा है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी का कमर्शियल इंट्रेस्ट हो तो यह अलग बात है, लेकिन यह भी बहुत दिनों तक नहीं चलता है। अमेरिका जैसे देश ने अपने यहां छह महीने तक के बच्चों का भी कोविड वैक्सीनेशन करा दिया, जबकि हमने साइंस की बात की। हमारी सरकार ने भी इसे तवज्जो दिया और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को एक भी वैक्सीन नहीं लगी और वायरस का उनपर असर भी कुछ नहीं हुआ। हमें समझना होगा और वैज्ञानिक समझ के आधार पर ही बात करनी होगी।
सिक्वेंसिंग में पहले भी मिला था वेरिएंट JN.1
दिल्ली में कोरोना वायरस पर नजर रखने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभी यह बंद है। हालांकि सिक्वेंसिंग से जुड़े एक एक्सपर्ट ने दावा किया कि यह नया वेरिएंट JN.1 तो पहले से है, हमारे सिक्वेंसिंग में पहले भी मिला था। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि यह वेरिएंट हमारे लिए कुछ ज्यादा प्रभावी होगा। वहीं, एक अन्य एक्सपर्ट ने कहा कि अभी कोविड पॉजिटिव भी सामने नहीं आ रहे हैं, इसलिए सिक्वेंसिंग भी नहीं हो रही है। जब नए मामले आएंगे तभी सिक्वेंसिंग की जा सकती है। इस बारे में सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के एक्सपर्ट डॉक्टर जुगल किशोर ने कहा कि सर्विलांस जरूरी है, वायरस के बिहेवियर पर नजर रखनी चाहिए और इसके इफेक्ट को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।
दिल्ली में पिछले सात दिनों में 3 कोविड पॉजिटिव
केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार कुल 257 मामले आए हैं, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक हैं। इनमें से 12 मई के बाद 164 केस की पुष्टि हुई है। दिल्ली में अभी 5 मामले एक्टिव बता रहे हैं, लेकिन इनमें से 3 मामले 12 मई के बाद आए हैं। सबसे अधिक मामले केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR की समीक्षा में कहा गया है कि अधिकांश मामले हल्के हैं। अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही है। फिलहाल कोई पैनिक की स्थिति नहीं है, लेकिन निगरानी बढ़ा दी गई है।
क्या है JN.1 वेरिएंट?
JN.1, ओमिक्रॉन के BA.2.86 फैमिली का एक नया वैरिएंट है। इसे अगस्त 2023 में पहली बार पहचाना गया था।
इसमें करीब 30 बदलाव (म्यूटेशन) हो चुके हैं, जो इसे शरीर की इम्युनिटी से बचाने में मदद करते हैं।
विदेशी वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके स्पाइक प्रोटीन में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जो इसे पहले से अधिक संक्रामक बनाता है।
BA.2.86 जहां ज्यादा नहीं फैला था, वहीं JN.1 दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है और कई देशों में इसके क्लस्टर सामने आ चुके हैं।
क्या हैं लक्षण
सूखी खांसी, नाक बहना या बंद होना, सिर दर्द, गले में खराश, बुखार, थकान या कमजोरी, स्वाद या गंध का चले जाना, डायरिया (इस वेरिएंट में अधिक देखा गया)
विदेशों में क्या हालात हैं?
हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर में मामलों में उछाल है। सिंगापुर में एक सप्ताह में कोविड केस 28% बढ़े (11,100 से 14,200) हैं। अस्पताल में भर्ती मामलों में भी 30% का इजाफा देखा गया है। हॉन्ग कॉन्ग में मई के पहले हफ्ते में 1,000+ केस और 31 मौतें हुई जो एक साल में सबसे ज्यादा है।
क्या हैं इसके लक्षण?
JN.1 वैरिएंट के कई लक्षण होते हैं, जिनमें से ज्यादा लक्षण पिछले ओमिक्रॉन स्ट्रेन में देखे गए लक्षणों के समान हैं. आम लक्षणों में सूखी खांसी, बहती या बंद नाक, सिरदर्द, गले में खराश और बुखार शामिल हैं. इससे संक्रमित कई लोग थकावट महसूस करने की भी शिकायत करते हैं. कुछ मामलों में, स्वाद या सूंघने की शक्ति भी चली जाती है. एक लक्षण जो JN.1 वैरिएंट के साथ ज्यादा बार देखा जाता है वह दस्त है, जिसे डायरिया (diarrhoea) कहते हैं. कुल मिलाकर, जबकि लक्षण ज्यादातर हल्के से मध्यम होते हैं, सतर्क रहना जरूरी है.
बचने के लिए क्या करें?
कोरोना से अपना बचाव करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं. अगर आप भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जा रहे हैं, तो मास्क जरूर पहनें. खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को रुमाल या कोहनी से ढंक लें ताकि वायरस दूसरों तक पहुंच न सके. हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोते रहें या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. अगर आपको बुखार, खांसी या गले में खराश जैसे लक्षण महसूस हों, तो घर पर ही रहें और जरूरत लगने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इन आसान उपायों को अपनाकर आप खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं.