अवैध शराब की सफलता पर असफल कहानी।

अवैध शराब की सफलता पर असफल कहानी।

नागदा से पण्डित संजय शर्मा की रिपोर्ट।

पुलिस शराब का राज उगलवाने में रही नाकाम।

राज्य की सभी दुकानें सील। फिर भी अवैध शराब का कारोबार शहर में जोरों से जारी है, वो भी सरकार को राजस्व का चूना लगाकर।

कोरोना लाकडाउन में खाचरौद थाना पुलिस ने लाकडाउन का पालन करवाने में सफल रही। इसी के साथ खाचरौद पुलिस थाने में और भी कार्यवाही को अंजाम दिया है। लाकडाउन में अवैध शराब खोरी के लगभग 12 प्रकरण अपने नाम दर्ज कर लिये। जिसमें तीन बड़ी कार्यवाही हुई। पहली कार्यवाही मड़ावदा दुकान की शराब पेटी जीप में भरी पकड़ी। ठेकेदार का मेनेजर पकड़ा फिर खेल सबकुछ सेटिंग के तहत चला। जिसे पत्रकारों ने फेल कर दिया, जहाँ जीप सहित माल तो जप्त किया लेकिन आरोपी को फरार कर दिया, आरोपी की जानकारी पत्रकारों को लगी तो खाचरौद थाना पुलिस महकमे में अंतिम वर्ष की पारी खेल रहे एसआई ने झूठे आरोप से अपमानित करने की छोटी हरकत भी की। लेकिन सत्य के साथ भगवान खड़ा रहता है, जिला अधिकारी ने मामला संज्ञान में लेकर टीआई कुलवंत जोशी को उज्जैन रवानगी डाली। लेकिन पत्रकार से अभद्रता, झूठे आरोप लगाने वाले एसआई केके द्विवेदी को थाना प्रभारी बना दिया। इन्होंने दूसरे प्रकरण में बेरछा की दुकान से सप्लाई माल को दिवेल से पकड़ा आरोपी फरार हो गया और तीसरी कार्यवाही बुरानबाद में हुई, जो बड़ागांव दुकान का माल था, कहने वालों ने 24 पेटी से अधिक कहा लेकिन पुलिस ने बताया 14 पेटी आरोपी सहित पकड़ा, दो दिन आरोपी का रीमांड लिया लेकिन थाना प्रभारी एसआई केके द्विवेदी आरोपी से राज ठेकेदार का नाम उगलवाने में असफल रहे। पत्रकारों के जवाब में वहीं घुमा फिरा कर वार करने लगे, लेकिन सत्यता आरोपी शांतीलाल से बुलवा नहीं सके।
बड़े से बड़ा मामले का पुलिस खुलासा कर सकती है तो शराब का मुख्य सरगना को अबतक क्यों बचाया रखा है। और पत्रकार को अपमानित करने वाले अधिकारी पर कार्यवाही क्यों नही हुई। जिसकी लिखित शिकायत आवेदन स्थानीय प्रशासन के पास कार्यवाही के इंतजार में है।

अफ़सोस सभी प्रकरण में मुख्य शराब का ठेकेदार जो लाकडाउन नियम की धज्जियां उड़ाते हुए आबकारी विभाग और पुलिस को अपनी जेब में रखते हुए खुले आम हर शहर गाँव में ऊँचे दाम पर शराब परोसी। जहाँ दूध और सब्जीवाला आने में घबराता था। वहाँ यह लोग आसानी से थोक बंद शराब की पेटियाँ पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
शहर, जिले, राज्य तक की सीमाओं के साथ सभी शराब दुकान पर सील ठोंक दी गई फिर इतनी मात्रा में शराब कहाँ से आ रही है। जरूर इसमें आबकारी और पुलिस विभाग की मिलीभगत होने का अंदेशा है। ज़िसकी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए। वरना हमारा सोने की चिड़िया वाला देश शराब का देश बन जायेगा।

नवागत जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक के आने से अवैध शराब माफियाओं पर कार्यवाही हो सकती है ऐसा अभी तो प्रतीत नहीं होता है क्योंकि अवैध शराब का मुख्य ठेकेदार रसुखदार होने के कारण जिला अधिकारी को भी सोचना पड़ेगा।

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