जिला प्रशासन ने नहीं की पर्याप्त व्यवस्थाएं इसलिए पड़ी दोबारा आवश्यकता लाॕकडाउन की।
मुलताई से अफ़सर खान की रिपोर्ट।
बैतूल शहर के निवासियों के पास खाने-पीने की पर्याप्त सामग्री है एवं बैतूल शहर में प्रवासी मजदूरों के कारण कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है यह बताते हुए 13 मई 2020 से पुनः प्रतिबंध लगा दिए।
वाहन एवं रेल से सरकार ही प्रवासी मजदूरों को ला रही है जिन्हें बेतूल शहर में लाए जाने की बजाय शहर के बाहर रखा जाकर बैतूल शहर को संक्रमण से बचाने का उपाय नहीं किया जा रहा जो अत्यंत ही आश्चर्यजनक है। यह बात वरिष्ठ समाजसेवी और अधिवक्ता अनिल गर्ग ने कहा।
आपदा प्रबंधन ग्रुप और बैठक में विचार-विमर्श करने वालों के घरों में खानपान की सामग्री की कोई कमी नहीं होगी लेकिन शहर की आधी आबादी गंभीर संकट के दौर से अवसाद में जीवन जी रही है।
शहर में प्रवासी मजदूर पैदल चलकर सैकड़ों किलोमीटर से आ रहे हैं जो शहर में रुकने की बजाय अपने घरों के लिए बिना रुके निकल रहे हैं इन पैदल चलने वाले मजदूरों में कोना का कोई भी लक्षण होता तो वहां पैदल चलकर गर्मी के इस मौसम में 10-15 किलोमीटर की दूरी पूरी नहीं कर पाते इस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने संभावित अपना कोई मत बैठक में नहीं रखा।
शर्मसार करने वाला एक तथ्य यह भी है कि प्रवासी मजदूरों को खाने के लिए एक बच्चे को दी जाने वाली खुराक ही दी जा रही है वह भी प्रतिबंधित प्लास्टिक की थैली में।
हमारा मोहन नागर से अनुरोध है कि भारत भारती शिक्षण संस्थान में प्रवासी मजदूरों के रुकने उन्हें रवाना किए जाने उनके खान-पान की व्यवस्था कर इस पूरे विषय को उन्हें अपने नियंत्रण में लेना चाहिए।