पटना। प्रधानमंत्री से आग्रह है की आईआईटी की तरह भारत के सभी निजी विद्यालयों को केंद्र सहायता दे।
पटना से सैयद शकील हैदर की रिपोर्ट।
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने प्रधानमंत्री से निवेदन किया है कि कोरोना काल में आर्थिक एवं मानसिक संकट से जूझ रहे भारत के सभी निजी विद्यालय बंदी के कगार पर आ गए हैं।
इन विद्यालयों के सभी संचालक पिछले तीन-चार महीनों से आर्थिक एवं मानसिक संकट से घिरे हुए हैं। संचालकों को बार-बार यह डर सता रहा है कि अधिकतर निजी विद्यालय जो किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं बंदी के कारण इन विद्यालयों का किराया एवं विद्युत बिल की राशि बैंकों का कर्ज वाहनों का टैक्स आदि की भरपाई कैसे और किस फंड से किया जाए।
शमायल अहमद ने प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा जब भी सरकार या प्रशासन को निजी विद्यालयों के भवनों फर्नीचर शौचालय मैदान की जरूरत यथा चुनाव प्रतियोगी परीक्षाओं को संचालित करने कौरेनटाइन सेंटर बनाने आदि की जरूरत पड़ती है इस परिस्थिति में भी निजी विद्यालय अपने यहां पठन-पाठन को स्थगित कर सरकार की भरपूर मदद करने में कोई चूक नहीं करती।
निजी विद्यालयों का सारा दारोमदार विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के माता-पिता एवं अभिभावकों के द्वारा फीस के भुगतान पर ही निर्भर करता है लेकिन सबसे बड़ी परेशानी का सबब यह है कि पिछले तीन-चार महीनों से अधिकतर विद्यार्थियों के अभिभावक निजी विद्यालयों को भी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।
शमायल अहमद ने प्रधानमंत्री से प्रार्थना की है कि जिस तरह आपने भारत की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान केंद्रित कर देश के सभी निजी आईआईटी को केंद्रीय सहायता की मंजूरी प्रदान की है वैसे ही भारत के सभी निजी विद्यालयों को इस आपदा की घड़ी में केंद्रीय सहायता देने पर विचार करें जिससे भारत में लाखों की संख्या में संचालित निजी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों तथा विद्यालयों में कार्यरत सभी टीचिंग एवं नान टीचिंग स्टाफ एवं उनके परिजनों का कल्याण हो सके।