भिवंडी के प्राइवेट अस्पतालों को बंद कर मरीज़ को ना देखना दुर्भाग्यपूर्ण है: इकबाल
भिवंडी से मुस्तक़ीम खान की रिपोर्ट।
भिवंडी। भिवंडी में लॉकडाउन शरू हुवा तो सबसे पहले भिवंडी के नामी गिरामी बड़े डॉक्टर ने अपने अस्पताल बन्द कर लॉकडाउन हो गए।
bhiwandidoctorsलॉक डाउन-3 के बाद मरीज़ बढ़ने लगे, इसी के साथ मौसम में बदलाव हुवा तो सर्दी बुखार मलेरिया के मरीज़ की तादाद बढ़ने लगी।
करोना के डर से हॉस्पिटल बुखार और सर्दी के मरीज़ देखने को तैयार नहीं। बन्द हॉस्पिटल और डॉक्टरों के ख़िलाफ़ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जो सोशल मीडिया के माध्यम देखने को मिल रहा है।
लोजी हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त करने की मांग कर रहे है। इसी क्रम में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रवक्ता इकबाल सिद्दीकी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि देश में जब महामारी फैली है, ऐसे में भिवंडी के अधिकतर नामी गिरामी डॉक्टर अपने अस्पताल को बंद करके साधारण बीमारी का ईलाज नहीं कर रहे हैं, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। यह डॉक्टरी पेशे के साथ नाइंसाफी है।
भिवंडी शहर के सामाजिक संस्थाओं और राजनीतिक दल के लोगों ने अपनी परवाह न करते हुए लॉकडाउन में भिवंडी के मजदूरों परेशान और जरूरतमंद लोगों के बीच में जाकर खाने पीने का समान पहुंचाया।
अफ़्सोस के साथ कहना पड़ रहा भिवंडी के अधिकतर डॉक्टर अपना अस्पताल बंद करके घरों में बैठ गए हैं। उनसे अपील है कि वह अस्पतालों में वापस आए और मरीज की जांच पड़ताल कर उनका इलाज करें। इकबाल ने आगे कहा कि भिवंडी में 10 लाख से ज्यादा की आबादी है पर मात्र एक 100 बेड का आईजीएम हॉस्पिटल है जिसमें सिर्फ कोविड-19 का इलाज हो रहा है जो नाकाफ़ी है।
भिवंडी शहर मलेरिया डेंगू और टाइफाइड मर्ज़ के नाम से मशहूर है। ऐसे में इन मरीज को भिवंडी के प्राइवेट हॉस्पिटल कोरोना की वजह से इलाज करने से डर रहे हैं, जिसकी वजह से काफी मौत हो रही हैं। इस मौत के जिम्मेदार प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर हैं। कांग्रेस प्रवक्ता इकबाल ने भिवंडी के हालात की जानकारी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को भी ट्विटर और पत्र के माध्यम से दी है।