बंद पड़े परमिट रूम शुरू किए जाने की मांग। लॉकडाउन की वजह से परमिट रुम दुकानें बंद।

बंद पड़े परमिट रूम शुरू किए जाने की मांग। लॉकडाउन की वजह से परमिट रुम दुकानें बंद।

भिवंडी से मुस्तकीम खान की रिपोर्ट।

भिवंडी। लॉकडाउन के कारण भिवंडी तालुका स्थित करीब 145 परमिट रूम दुकानों पर लगा ताला।

शासन द्वारा कब खोला जाएगा इसको लेकर मालिकों में भारी चिंता व्याप्त है। भिवंडी शहर बार परमिट रुम एसोसिएशन प्रेसीडेंट भास्कर शेट्टी ने राज्य सरकार से परमिट रूम को अविलंब शुरू किए जाने की मांग की है।

गौरतलब हो कि वैश्विक महामारी से 25 मार्च से हुए लाकडाउन की वजह से भिवंडी तालुका स्थित करीब 145 परमिट रूम की दुकानों में तालाबंदी है। भिवंडी शहर में करीब 55 एवं भिवंडी ग्रामीण क्षेत्र में करीब 90 परमिट रूम की दुकानें हैं।

Demand for starting of closed permit rooms. Permit rooms shops closed due to lockdown.
Demand Starting Closed Permit Rooms. Permit Rooms Shops Closed Due to Lockdown

जिनमें हजारों शिक्षित बेरोजगार रोजगार प्राप्त करते हैं। लॉकडाउन की वजह से बंद हुए उद्योग में काम करने वाले हजारों प्रवासी मजदूर थक हार कर मुलुक पलायन कर चुके हैं।

मजदूरों के अभाव में मालिकों के समक्ष दुकानों को पुनः खोलना चुनौती भरा साबित होने वाला है। परमिट रूम में काम करने वाले यूपी, बिहार, झारखंड, कर्नाटक आदि क्षेत्रों के हजारों मजदूर दु:ख झेलकर, परेशान होकर पलायन कर चुके हैं।

एसोसिएशन खजांची प्रीती पैलेस के मालिक उज्जवल शेखर शेट्टी के अनुसार, परमिट रूम के मालिकों द्वारा सरकार सहित स्थानीय मनपा प्रशासन को प्रतिवर्ष टैक्स, जीएसटी, फीस के तौर पर प्रति दुकानदार लाखों रुपया चुकाया जाता है।

दुकानदारों द्वारा 2020-21 का एडवांस टैक्स चुकाया जा चुका है। करीब ढाई माह से रोजगार बंद होने से लाइट बिल, पानी बिल, हाउस टैक्स, भाड़ा, बैंक ईएमआई चुकाना बेहद मुश्किल हो गया है।

सरकार ने लाकडाउन के दौरान ही शराब, बीयर की दुकानों को ग्राहकों हेतु खोल दिया, बावजूद परमिट की दुकानों को नहीं खोलकर मालिकों के साथ बेहद नाइंसाफी की है।

शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में परमिट रूम बंद होने से गली-गली में शराब की अवैध दुकानें खुल गई हैं। जिनसे राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है।

आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि, परमिट रूम मालिकों द्वारा जहां सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए राजस्व चुकाया जाता है, वहीं गली-गली में खुली शराब की दुकानों द्वारा सरकार को एक पैसे की भी कमाई नहीं होती अपितु राजस्व का भारी नुकसान झेलना पड़ता है।

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भिवंडी तालुका स्थित परमिट रूम मालिक प्रतिवर्ष राजस्व के रूप में शासन को करीब साढे 5 लाख रुपये टैक्स, फीस आदि के रूप में चुकाते हैं बावजूद सरकार की उपेक्षा झेल रहे हैं।

भिवंडी शहर प्रेसीडेंट भास्कर शेट्टी का कहना है कि, परमिट रूम उद्योग को पुनः पटरी पर लाए जाने हेतु शीघ्र खोलने की इजाजत सहित आर्थिक रियायत देना जरूरी है।

सरकार को बंद समयावधि 3 माह का बिजली बिल, हाउस, पानी टैक्स सहित लायसेंस फीस पूर्णतया माफ किया जाना चाहिए जिससे मालिकों को राहत मिल सके।

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