शहर में स्वच्छता अभियान, ग्रामीण गंदगी से परेशान।
शहडोल से मोहित तिवारी की रिपोर्ट।
सही मायने में कहा जाए जो प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान कोई लोक लुभावन परियोजना नहीं है, बल्कि देश को कचरा प्रबन्धन के मुद्दे पर दिखाई गई एक दिशा और इस समस्या से निजात दिलाने का प्रयास है।
प्रधानमन्त्री के स्वच्छ भारत अभियान को शहरी और ग्रामीण दो भागों में बांटा गया है। जहां शहर में नगर पालिका द्वारा वृहद स्तर पर स्वच्छता को अभियान बनाकर कार्य किया जा रहा है। घर घर पहुंचकर नगर पालिका के कचरा वाहन शहर से बड़ी मात्रा में कचरा एकत्रित कर इस कचरे को शहर के बाहर ग्रामीण पंचायतों के सीमा के पास डंप कर रहे हैं।
जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के पशु इस कचरे से अपनी भूख मिटा रहे हैं और तो और इस कचरे में कुत्ते ओर पक्षी भी अपना भोजन ढूंढते नजर आ रहे हैं। जो इस कचरे को फैला रहे हैं। जिससे इन ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहर के बाहरी इलाकों में गंभीर रोग उत्पन्न होने का खतरा मंडरा रहा है।
कचरे के निपटान में नगर पालिका का ध्यान नहीं:
शहडोल। शहर से बड़ी मात्रा में रोजाना कचरा एकत्रित कर इस कचरे को शहर और ग्रामीण क्षेत्र की सीमा में फेंक नगर पालिका, एनजीटी के तय नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। एनजीटी के तय नियमों के अनुसार सभी निकायों को अपना वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम तैयार कर अपने कचरे का निपटान सुनिश्चित करना है, परंतु नगर पालिका ने ऐसा कोई सिस्टम आज तक तैयार करने कि ओर कोई कदम नहीं उठाये गए हैं।
म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग के मुताबिक शहरी क्षेत्र में निकलने वाले कचरे की पूरी जिम्मेदारी नगर पालिका की है। कचरा प्रबंधन को लेकर संसाधनों, सुविधाओं या बजट की कमी का हवाला नहीं दे सकता। इसका प्रबंधन नगर पालिका को करना ही है।