हमें जगत में जगदीश्वर का ज्ञान गुरु ही कराते हैं: पं.नीरज महाराज
रहटगांव से नीलेश गौर की रिपोर्ट।
हमें प्रत्येक कार्य को संपादित करने के लिऐ एक दिशा का बोध कराने वाले की आवश्यकता होती है, और वह दिशा हमें हमारे जीवन में केवल गुरु ही प्रदान करता है। इस जहान में जितने ज्ञानी ध्यानी बने हों, चाहे कितने ही वैज्ञानिक, इंजीनियर या सफलतम व्यवसायिक सबको परिपक्व बनाने के पीछे कोई ना कोई गुरु छुपा होता है, उन्हें मान सम्मान और पूजने की परम्परा हमारे जगत में अनादि कालों से चली आ रही है।
उसी नियति को हम सभी इस वर्ष भी 05 जुलाई 2020 को गुरु पूर्णिमा के रूप में बड़े हर्ष उल्लास में मनाएंगे, हर धर्म सम्प्रदाय में अपने अपने अनुसार इस पर्व को मनाते हैं। कोई अपने ग्रन्थ को ही गुरु मानते हैं तो निर्गुणी पंथ केवल शब्द ब्रह्म और ज्योति स्वरुप को गुरु मानते हैं परंतु वैष्णव सम्प्रदाय और सनातनी लोग गुरु को ईश्वर का ही रूप मानते हैं, ऐसी मान्यता है कि हमारे जीवन का सभी कुछ मूलआधार गुरु ही है।
पं.नीरज महाराज के अनुसार सनातन धर्म को मानने वाले अनुयायी भी अपने पुराणों की ग्रन्थों की पूजन करते हैं। गुरु पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
हिंदुओं में गुरुओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। यहां तक कि गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधेरे से सही मार्ग की ओर ले जाता है।
पण्डित नीरज महाराज के अनुसार इस दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास अर्थात महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।
महर्षि व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे। महाभारत जैसा महाकाव्य उनके द्वारा ही लिखा गया था। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेद व्यास को ही माना जाता है। साथ ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है।
बता दें गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाात है। पण्डित नीरज ने बताया कि इस दौरान सभी मठों और मंदिरों के साथ साथ सभी गुरु गादियों पर जाकर शिष्य और भक्त अपने गुरु जनों से गुरु आशीर्वाद लेकर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं। जीवन में गुरु की महत्वता जितनी बखान की जाऐ उतनी कम है