लापरवाही प्रशासन की उदासीनता या जनता की लापरवाही अनसुलझे सवाल।
शहडोल से मोहित तिवारी की रिपोर्ट।
कंटेन्मेंट क्षेत्र में बेरोकटोक आने-जाने से लोगों में वायरस फैलने का खौफ, कंटेन्मेंट क्षेत्र में पर कोई चेकिंग नहीं।
शहडोल। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने शहर में कंटेनमेंट जोन बनाए हैं। इन इलाकों में संक्रमण के चक्र को तोड़ने के लिए पूर्ण रूप से आवाजाही पर पाबंदी है। किसी को बाहर से अंदर और अंदर से बाहर नहीं जाने का दावा किया गया, लेकिन ज्यादातर एरिया में धड़ल्ले से लोगों की मूवमेंट हो रही है। पुलिस भी नाकों पर चेकिंग नहीं कर रही है। ऐसे में यहां बाहरी लोगों का आना-जाना जारी है। यही हाल रहा तो महामारी पर काबू पाने में बहुत वक्त लग जाएगा।
लोगों को भय नहीं, पुलिस को फिक्र नहीं:
प्रशासन ने शहर में कंटेनमेंट जोन घोषित किए हैं। जिले में पॉजिटिव केस की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर ठारवानी के घर से लेकर डॉक्टर त्रिपाठी के घर तक कंटेन्मेंट एरिया घोषित किया गया है लेकिन इन इलाकों में बार-बार लोगों की मूवमेंट हो रही है। इनको रोकने वाला कोई नहीं है। कंटेनमेंट जोन का मतलब पूरी तरह से सीलिंग है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। नियमनुसार इन जोन को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है। इसका फायदा ये होता है कि कोरोना बाहरी इलाकों में नहीं फैलता। बुधवार को जब इन जोन की पड़ताल की तो पता चला कि इनमें तो कोई भी बाहरी व्यक्ति आसानी से आ-जा सकता है। डॉक्टर ठारवानी के सामने का बैरिकेट टूटा हुआ पड़ा है ताकि डॉक्टर साहब की कार आसानी से अंदर प्रवेश कर सके।
डॉक्टर ठारवानी द्वारा देखा जा रहा मरीज:
शिकायत के बाद भी कार्यवाही से परहेज। पुलिस लाइन के कंटेन्मेंट एरिया में डॉक्टर ठारवानी की क्लिनिक संचालित है जो लगातार मरिजों का इलाज कर रहे हैं लेकिन प्रशासन से अच्छी तालमेल होने के कारण इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है या कार्यवाही करने से परहेज किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार शिकायत पर विगत दिनों SDM सोहागपुर कार्यवाही हेतु पहुंचे तो जरूर लेकिन किसी बड़े साहब का फ़ोन आ गया और वो बिना कार्यवाही के ही वापस आ गए। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या कोरोना काल में भी कार्यवाही से परहेज होगा। कोरोना तो गरीब अमीर देख कर हो नहीं रहा है फिर प्रशासन के सारे नियम कानून आम आदमी तक क्यों सीमित हैं।
शासन द्वारा जहां कोविड के मरीज मिलते हैं वहाँ के क्षेत्र को केनटेंटमेंट क्षेत्र घोषित करते हुए 14 दिनों तक सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह सील किये जाने का प्रावधान है। जो किया गया किंतु उस कंटेंमेंट क्षेत्र को तोड़ कर आम दिनों की तरह ही आवागमन के साथ मरीजों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना शासन के निर्देशों की अवहेलना है। इस पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि छोटी सी चूक के कारण जिलेवासियों को बड़ा खामियाजा उठाना पड़े। वैसे भी पुलिस अधिकारी भी कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं।