20 वर्षों से पेंशन के लिए दर-दर भटक रही 80 वर्षीय वृद्धा।
सूरजपुर छग से पप्पू जायसवाल की रिपोर्ट।
सूरजपुर जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी बिहारपुर के ग्राम महुली में निवासरत वृद्धा रूकमन खेरवार पिछले 20 वर्षों से निराश्रित पेंशन के लिए दर-दर भटक रही हैं। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है सरपंच सचिव और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के पास दौड़ते दौड़ते बुढ़िया के पांव नहीं थकते। वृद्धा इसी उम्मीद से हर रोज सचिव सरपंच के द्वार पर भटकती रहती हैं कि हो सकता है कि मुझे निराश्रित पेंशन मिल जाए लेकिन पिछले 20 वर्षों से लेकर आज तक ना जाने कितने सचिव लोगों के पास गई सरपंच लोगों के पास गई लेकिन इस वृद्धा की दुहाई सुनने वाला कोई नहीं है।
80 वर्ष की उम्र पार कर चुकी है वृद्धा:
ज्ञात हो कि वृद्धा की उम्र लगभग 80 वर्ष है। वृद्धा को आंखों से भी बहुत कम दिखाई देता है। वह अत्यधिक बूढ़ी हो जाने के कारण चलने फिरने में भी परेशानी होती है। शासन की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित वृद्धा पेंशन ना मिलने से वृद्धा की हालत अत्यंत दयनीय है। विधा को तन ढांकने के लिए पूरे कपड़े भी उपलब्ध नहीं हैं।
30 वर्ष पहले ही गुजर चुका है वृद्धा का पति:
वृद्धा का पति लगभग 30 वर्ष पहले ही इस दुनिया से गुजर चुका है। वृद्धा अपने बेटे के साथ झोपड़ी में रहती हैं, उन्हीं के साथ गुजर-बसर करती हैं।
शासन की ओर से दिया जाने वाला 10 किलो चावल भी नहीं मिलता वृद्धा को:
प्रशासन की महत्वाकांक्षी योजना अंत्योदय योजना के तहत निराश्रित गरीबों को नि:शुल्क 10 किलो चावल प्रदाय किया जाता है लेकिन वृद्धा को वह 10 किलो चावल भी नसीब नहीं है जिसकी वजह से विधा का जीवन और दूभर हो गया है।
फटे झोले में कागज लेकर भटकती है वृद्धा:
वृद्धा अपने जरूरी कागजात फोटो, आधार कार्ड, परिचय पत्र इत्यादि झोले में रखकर सभी कागज सहित कभी सरपंच के पास कभी सचिव के पास जाती रहती है लेकिन वृद्धा को सिर्फ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता।
4 पंच वर्षीय बीत चुके वृद्धा को दौड़ते दौड़ते:
वृद्धा पिछले 20 वर्षों से पेंशन के लिए लगातार संघर्ष करते आ रही है लेकिन वृद्धा की सुध लेने वाला अभी तक कोई नहीं रहा। कितने सचिव आए और कितने चले गए। कितने सरपंच भी बदल गए लेकिन वृद्धा की स्थिति जस की तस बनी हुई है बल्कि और भी दयनीय हो गई है।
खबर लगने के बाद एक बार कर चुके हैं वृद्धा को फर्जी भुगतान:
इस खबर को छह माह पहले लगभग सभी प्रमुख अखबारों द्वारा प्रमुखता से छापा गया था जिसके तुरंत बाद ही एक दिन में वृद्धा को सचिव और सरपंच के द्वारा एक माह की वृद्धा पेंशन की राशि कह कर भुगतान कर दिया गया लेकिन उसके बाद से लगभग 6 महीने बीत गए।
उस समय विभाग वालों ने वृद्धा पेंशन दिलाने का श्रेय अपने ऊपर लिया था। उसे अभी तक एक रुपया भी नहीं मिला जिसकी वजह से बुढ़िया के हालात जस के तस बने हुए हैं।
वृद्धा की हालत भी गंभीर:
हाल के दिनों में अभी वृद्धा की तबीयत भी बहुत खराब है, जिसका इलाज कराने के लिए वृद्धा के पास पैसे उपलब्ध नहीं हैं। वह दर दर पैसों के लिए भटक रही है ताकि कोई उसकी मदद कर दें जिससे वह अपना इलाज करा सकें।
पेंशन के संदर्भ में जब सरपंच से बात किया गया तो सरपंच द्वारा बताया गया कि 6 माह पहले उच्च अधिकारियों द्वारा कहे जाने पर मैंने अपने जेब से एक महीने की पेंशन राशि भुगतान कर दिया था लेकिन उसके बाद से अभी तक कोई भी पेंशन राशि का आवंटन नहीं हुआ है। जिसकी वजह से वह पैसा नहीं दे सकते। उच्च अधिकारियों द्वारा बोला गया था कि जैसे ही बैठक होती है हम पेंशन जुड़वा देंगे लेकिन अभी तक वृद्धा की पेंशन नहीं आई: सरपंच सुमित्रा खैरवार ग्राम पंचायत महुली।
इसके संदर्भ में ग्राम पंचायत महुली के सचिव से भी बात किया गया तो सचिव द्वारा भी यही बताया गया कि वृद्धा की अभी तक वृद्धा पेंशन स्वीकृत नहीं हुई है। एक माह का वितरण सरपंच अपने जेब से कर दिए थे जैसे ही स्वीकृत होगा हम लोग देना शुरू कर देंगे: हीरा सिंह सचिव ग्राम पंचायत महुली।
इस मामले को पेपर में प्रकाशित होने, सभी अधिकारियों को सूचित करने के बावजूद भी अगर वृद्धा को पेंशन नहीं मिल पा रही है तो इसका असली जिम्मेदार कौन है। कब तक वृद्धा को न्याय मिल सकेगा यह सोचने वाली बात है।