किसान संघर्ष समिति ने सोयाबीन की खराब हुई फसल का तुरंत सर्वे कराने को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन।
40 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे की मांग की।
आनावारी की इकाई पटवारी हल्का नहीं, किसान का खेत हो।
मुलताई से अफ़सर खान की रिपोर्ट।
आज किसान संघर्ष समिति द्वारा अतिवृष्टि से खराब हुई फसल का तत्काल सर्वे कर मुआवजा दिलाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री कमल पटेल, जिलाधीश बैतूल, कृषि उप संचालक बैतूल तथा अनुविभागीय अधिकारी मुलताई को ज्ञापन पत्र भेजा गया।
ज्ञापन पत्र में कहा गया है कि पूरे प्रदेश की तरह मुलताई में भी सोयाबीन की फसल अतिवृष्टि,पीला मोजैक तथा अफलन से खराब हो गई है। अभी तक कृषि विभाग द्वारा कोई सर्वे की कार्यवाही नहीं हुई है। तुरंत सर्वे कराने का निर्देश जारी करें ताकि अगले 1 सप्ताह में सर्वे का कार्य पूरा हो सके। सर्वे के दौरान किसान की उपस्थिति अनिवार्य की जाए तथा ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की जानकारी में हो। सर्वे की सूचना मुनादी करके गांव में दी जाए। मुआवजा क्रॉप कटिंग सर्वे के बाद ही दिया जाता है लेकिन क्रॉप कटिंग सर्वे हर गांव में सिर्फ 2 किसानों का ही किया जाता है। इस व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है क्योंकि इससे सही आकलन नहीं हो पाता।
मुआवजा राशि भी बहुत कम दी जाती है।
ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को स्मरण कराया गया कि पिछले वर्ष जब वे विपक्ष में थे तब कमलनाथ सरकार से अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसल का 40 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा की मांग की थी। अब राज्य में उनकी सरकार है तो वे अपनी मांग पर अमल करते हुए किसानों को 40 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिलाए।
लागत से डेढ़ गुना मुआवजा किसानों को दिया जाना चाहिए। अनावारी मापने की इकाई किसान का खेत हो, यह मांग लंबे समय से किसान संघर्ष समिति द्वारा की जा रही है। इसके बावजूद भी पटवारी हल्के को ही माना जा रहा है जो सरासर नाइंसाफी है तथा न्यूनतम किसानों को मुआवजा देने का एक तरीका है। फसल बीमा कंपनियों के पास समय से कृषि विभाग और राजस्व विभाग द्वारा रिपोर्ट ना भेजे जाने के कारण किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार यह सुनिश्चित करें कि क्रॉप कटिंग के 1 सप्ताह के भीतर फसल बीमा कंपनियों के पास हर किसान का प्रकरण पहुंच जाए ।
कोरोना संक्रमण की स्थिति सुधर जाने पर ग्राम सभा से क्रॉप कटिंग सर्वे का अनुमोदन करना आवश्यक बनाया जाना चाहिए।कृषि विभाग और राजस्व विभाग द्वारा सर्वे का कार्य लापरवाही पूर्ण, भेदभाव पूर्ण और भाई भतीजावाद पर आधारित होता है। यह आरोप लगातार किसानों द्वारा लगाए जाते रहे हैं। अविश्वास की स्थिति के कारण गांव गांव के किसान अपनी फसल लेकर तथा अपने गांव का ज्ञापन देकर तहसील के चक्कर लगाने को मजबूर होते रहे हैं। इसीलिए पारदर्शी तरीके से सर्वे का कार्य किया जाना चाहिए।
ज्ञापन भेजने वालों में लक्ष्मण बोरबन, डखरू महाजन, विनोदी महाजन, शेषराव सूर्यवंशी, रामदयाल चौरे परमंडल, साहेबलाल महाजन हेटी, प्रेमचंद मालवीय, सीताराम नरवरे, गुड्डू, लखन सुर्यवंशी सर्रा, कृष्णा ठाकरे, परबत वागद्रे सांडिया, तिरथसिंह बाड़ेगांव, मुन्नालाल पाठेकर बानूर,मारोती पवार, भीमसेन पवार भिलाई, अरुण सिवारे पट्टन, गजानन हजारे चिल्हाटी, दशरथ नरवरे, गुलाब देशमुख आष्टा, रघु कोड़ले, माखन चौधरी एनस, गुंनवन सिंह सिसोदिया, रविंद्र सिंह राठौर, सेमझिरा, चैतराम चौधरी निरगुड़, रमेश सोनी बिरूल बाजार, भुरेंद्र मकोड़े, आत्माराम कड़व साईखेड़ा, बलराम बारपेटे धारणी, सावन्या पवार, सौरभ गावंडे हिवरखेड़, संतोष सोनी डोहलन, गुलाब अमरूते खतेड़ा कला, सुखसिंह सिसोदिया मोही, गजरात पाठेकर, उमेश झोड़ गौला, कैलाश डोंगरदिये, बलराम अमरूते जुनापानी, अशोक फरकाड़े देवरी शामिल हैं।