शहडोल जिले में अवैध रेत परिवहन रोकने में लाचार जिला प्रशासन।
शहडोल संभागीय ब्यूरो मोहित तिवारी की रिपोर्ट।
शहडोल। जिले में रेत का काला कारोबार कहीं लायसेंस लेकर तो कहीं बिना लायसेंस के ही धड़ल्ले से जारी है। रेत का यह काला कारोबार प्रशासनिक अमले की नाक के नीचे जारी है। जिले का प्रशासनिक अमला इस काले कारोबार को बंद करने में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। जहां एक ओर नदियों में रेत उत्खनन, परिवहन पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है इसके बावजूद रेत की निकासी पर रोक नहीं लग पा रही है। वहीं दूसरी ओर रेत की वैध खदानों में भी नियमों को दरकिनार कर बीच नदी में मशीन के माध्यम से धड़ल्ले से रेत की खुदाई की जा रही है, जिससे नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। लेकिन सब कुछ देखते हुए भी जिले के आला अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हुए हैं।
शहडोल। शहडोल जिले में रेत खदान संचालन की मंजूरी की आड़ में वंशिका ग्रुप द्वारा नियमों को ताक पर रखकर रेत उत्खनन किया जा रहा है। रेत के उत्खनन के लिए नदी के बीच में मशीनें उतार दी जाती हैं। मशीनों के माध्यम से रेत की खुदाई लगातार जारी है। रेत कारोबारी नदी का सीना चीरकर रेत का उत्खनन करने में व्यस्त हैं। जबकि खदान संचालन की अनुमति की शर्तों के अनुरूप जेसीबी जैसी मशीने से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता है, बल्कि श्रमिकों से रेत का उत्खनन कराना है। हालांकि इसकी जानकारी जिले के जिम्मेदार प्रशासनिक अमले को भी है लेकिन प्रशासन जानबूझकर अंजान बना हुआ है। नदियों से रेत निकालने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT के निर्देशों के पालन में 15 अक्टूबर तक खनन प्रतिबंधित रहता है। नदियों में अन्य जीवों को नुकसान की दृष्टि से लगाए इस प्रतिबंध का असर जिले की नदियों में नहीं दिख रहा है।
ग्रामीणों ने दिखाइ सजगता:
ब्यौहारी थाना क्षेत्र अंतर्गत नदियों से रेत खनन के मामले में अवैध खनन का सिलसिला थम नहीं रहा है। ताजा मामला रसपुर झापर नदी में सामने आया है जहां ठेकेदारों द्वारा मशीन लगा कर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा था। अपने क्षेत्र की जीवनदायिनी नदी पर अवैध उत्खनन होता देख ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाई और एक ऐसा कार्य कर दिखाया जो प्रशासनिक अमले, क्षेत्र की पुलिस को करना चाहिए था। ग्रामीण डटकर ठेकेदारों के सामने खड़े हो गए और कहा कि वह अपने क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन नहीं करने देंगे और ग्रामीणों ने रेत से भरा ट्रक खाली करा दिया। रसपुर रेत खदान वंशिका लीज अंतर्गत आती है तो दूसरी ओर ब्यौहारी में भोलहरी के समधिन नदी से भारी बरसात में रेत का अवैध खनन हो रहा है। सूत्रों के अनुसार विगत दिनों भुरसी खदान में भी सरपंच सचिव की मिली भगत से ठेकेदार वंशिका द्वारा मशीन नदी पर उतार कर रेत का खनन किया जा रहा। तो सिहपुर में छोटी बड़ी नदियों से हो रहा अवैध खनन। जिले में लगातार अवैध खनन थमने का नाम नहीं ले रहा ये सब प्रशासन द्वारा दी गय छूट का नतीजा है।
एनजीटी के निर्देश की अनदेखी:
उल्लेखनीय है कि नदियों से रेत निकालने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT के निर्देशों के पालन में 15 अक्टूबर तक खनन प्रतिबंधित रहता है। नदियों में अन्य जीवों को नुकसान की दृष्टि से लगाए इस प्रतिबंध का असर जिले की नदियों में नहीं दिख रहा है। जानकारों की मानें तो रेत खदान संचालन की स्वीकृति मिलने के बाद रेत उत्खनन कराने को लेकर नियमों का निर्धारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के द्वारा किया गया है। जिसके तहत नदी के अंदर मशीन से रेत का उत्खनन न कर श्रमिकों से रेत का उत्खनन कराना है। वहीं नदी में रेत उत्खनन करते समय पानी की धारा किसी भी तरह प्रभावित न हो, पानी वाले क्षेत्र से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता, जिससे जल जीवों को खतरा न उत्पन्न हो। किंतु जिले की विभिन्न रेत खदानों में खुलेआम जेसीबी मशीने लगाकर रेत का उत्खनन किया जा रहा है। साथ ही नदी के पानी के बीच पानी की धारा मोड़कर रेत का खनन किया जा रहा है और प्रशासन जान बूझकर अंजान बना हुआ है या फिर वंशिका ग्रुप के अच्छे राजनैतिक संबंध तथा प्रशासनिक संरक्षण के कारण बरसात में रेत उत्खनन पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
इन खदानों में चल रही मनमानी:
जिले में संचालित रेत खदानों का ठेका वंशिका ग्रुप की वंशिका कंस्ट्रक्शन को दिया गया है जहां मशीनों से नदियो में लगातार रेत के अवैध उत्खनन के कारण नदियों का वजूद खतरे में आ गया है। जिले में भुरसी, रसपुर, चुन्दी नदी, समाधिन नदी और सिंहपुर की छोटी बड़ी नदियों में रेत का अवैध खनन लगातार जारी है।
लगातार हो रही रेत के दामो में बढ़ोतरी:
जिले में जब से वंशिका ग्रुप में ठेका लिया है तब से ही रेत के दामों में अविश्वसनीय बढ़ोतरी हुई है जो रेत नागरिक को बड़ी सहजता से 3000 तक में उपलब्ध हो जाया करती थी आज वो रेत नागरिक को 11000 में खरीदनी पड़ रही है। रेत के दाम बढ़ने से जिले के विकास कार्य रुके पड़े हैं। प्रधामंत्री जी की आवास योजना के घर नहीं बन पा रहे हैं। आवास हेतु प्रदाय की जाने वाली राशि से इतनी महेंगी रेत नही खरीदी जा सकती। प्रशासन ने शराब बिक्री हेतु तो दर का निर्धारण किया है लेकिन रेत की बिक्री हेतु किसी दर का निर्धारण नहीं किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप जिले में रेत मनमाने दाम पर बेची जा रही है। प्रशासन को रेत की न्यूनतम दर निर्धारण करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि एक गरीब का भी आशियाना बन सके लेकिन वंशिका ग्रुप मुनाफा कमाने की होड़ में इस कदर लगी हुई है कि आज रेत के दाम सोने के भाव जैसे बढ़ रहे हैं। जब जिले में रेत की खदानें हैं तो यहाँ रेत के दाम बढ़ाने का कारण कहीं अन्य प्रदेशों में रेत भेजा जाना तो नहीं। सोचने वाली बात है कि रेत खदानों से रेत निकलते ही शहर के कोतवाली क्षेत्रों के सामने से निकल जाते हैं रेत वाहन और प्रशासन को दिखाई नहीं पड़ता या कहें देख कर भी अनदेखा किया जाता है। अगर यही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब गरीब झोपड़ी में अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर हो जाएंगे क्योंकि इतनी महेंगी रेत खरीद पाना उनके बस में न होगा।
शेष अगला अंक में….