सभी एकादशी में पुरुषोत्तम एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है।

नवागढ़ ब्लाक से योगेश गुप्ता की रिपोर्ट।

एकादशी व्रत से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं।

पुरुषोत्तम एकादशी से माता लक्ष्मी जी की विशेष कृपा होती है।

संसार के सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे बढ़कर के हैं इसमें भी मलमास में पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत सर्वोत्तम माना गया है इस व्रत के करने से मनुष्य को सभी एकादशी का फल एक साथ प्राप्त हो जाता है छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में स्थित ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं धार्मिक दृष्टि से प्रमुख स्थान श्री दूधाधारी मठ में आश्विन शुक्ल पक्ष एकादशी जिसे पुरषोत्तम मास या अधिकमास भी कहते हैं के पावन अवसर पर कमला एकादशी महोत्सव मनाया गया भगवान श्री स्वामी बाला जी, श्री राघवेंद्र सरकार जी,श्री सीताराम जी, श्री संकटमोचक हनुमान जी एवं श्री दूधाधारी जी महराज का विशेष खौर युक्त श्रृंगार किया गया एवं प्रातः काल से ही श्री दूधाधारी मठ परिसर में निवासरत सन्त महात्माओं, विद्यार्थीगण एवं कर्मचारियों के द्वारा भजन किर्तन किया जा रहा है ।

In all ekadashi the best of the purushottam ekadashi is the best.

शासन प्रशासन के निर्दशानुसार मठ का मुख्य द्वार आम दर्शनार्थियों के लिए बंद है किन्तु पुरषोत्तम मास की इस एकादशी को परम्परा अनुसार महोत्सव के रूप में मनाया गया।

इसी तरह श्री शिवरीनारायण मठ, श्री जैतूसाव मठ एवं श्री राजीव लोचन मन्दिर में भी श्री पुरषोत्तम मास के इस कमला एकादशी को भक्तिभाव पूर्वक मनाया गया। पुरुषोत्तम एकादशी के संदर्भ में श्री दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने बताया कि मलमास भगवान विष्णु का प्रिय माह है इस महीने में जो एकादशी होता है उसे पुरुषोत्तम एकादशी, कमला एकादशी या पद्मिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, इस व्रत के करने से मनुष्य को सभी एकादशी व्रत का फल एक साथ प्राप्त हो जाता है माता लक्ष्मी इससे विशेष प्रसन्न होती हैं। यह जीव मात्र के लिए कल्याणकारी है इसके विधिवत व्रत धारण करने से हजारों यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। कारण कि यह सीधा भगवान विष्णु को समर्पित है भगवान विष्णु संसार के पालनहार हैं वे जीवों के पाप को नष्ट कर मोक्ष प्रदान करते हैं श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सर्वधर्मान्परितज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।। अर्थात भगवान ने अर्जुन को माध्यम बनाकर समस्त संसार को यह प्रेरणा दी है कि संसार के सभी धर्मों का परित्याग करके मेरे शरण में चले आओ मैं तुम्हें संसार के समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा। भगवान श्रीहरि संसार के समस्त प्राणी मात्र के ही नहीं अपितु सभी देवी देवताओं के संकट को हरण करने वाले हैं वह प्राणी मात्र को मोक्ष प्रदान करते हैं पुरुषोत्तम एकादशी के व्रत से सभी मनोरथ स्वयं पूर्ण हो जाते हैं।

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