गौवंश संरक्षण के अधिकाधिक प्रयास हों। गौ अभ्यारण्य ही गौवंश संवर्धन का विकल्प है।
सतपुड़ा गौ अभ्यारण केंद्र से ब्रजेश रिछारिया की कलम से।
टिमरनी। गौवंश संरक्षण के अधिकाधिक प्रयास होने चाहिए। मप्र शासन ने आगर मालवा जिले में गौ अभ्यारण्य बनाकर देश में अनूठी पहल की है। गौ संरक्षण एवं संवर्धन हेतु इस अभ्यारण्य के अलावा अन्य उचित स्थानों पर गौ अभ्यारण्य बनाने का प्रयास शासन प्रशासन को करना चाहिए। वर्तमान में हरदा जिले के टिमरनी अनुभाग की रहटगांव तहसील अंतर्गत टेमागाॉव उसकल्ली कपासी फुटान पर 23 अक्टूबर 2020 से समाज आधारित सतपुड़ा गौ अभ्यारण्य केन्द्र का शुभारंभ किया गया है। जहां वर्तमान में लगभग 600 गौवंश आनंद पूर्वक रह रहा है। जिसे शासन प्रशासन चाहे तो देश का मॉडल गौ अभ्यारण्य बनाया जा सकता है।
प्रदेश में निरंतर गौ शालाएं बन रही हैं। गौरक्षा के लिए अन्य क्या कदम आवश्यक हैं, सरकार को इसकी भी समीक्षा कर नए कदम लागू किए जाने चाहिए। सरकार और समाज मिलकर गौ संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य करें, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। समाज आधारित सतपुड़ा गौ अभ्यारण्य केन्द्र पर आमजनमानस सहित शासन-प्रशासन के प्रतिनिधि भी प्रतिदिन पहुंचकर अवलोकन कर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं। जिन्हें गौवंश की पूजा पश्चात संतोष मिल रहा है।
सभी लोग गौवंश के निश्चल, निष्कपट और निस्पृहरू प्रेम से अभिभूत हो रहे हैं और गौवंश के स्नेह से अपार आनंद की अनुभूति करते हैं। सभीजनों का मानना है कि गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु एक नाममात्र उपाए गौ अभ्यारण्य केन्द्र ही है जहां गौवंश स्वस्थ्य व प्रसन्नचित रह सकता है।
गौशाला तो हजारों बन सकती हैं परंतु वहां गौवंश को कैद किया जा सकता है। उन्हें आजादी के साथ प्रकृति की गोद में विचरण करने का अधिकार मिलना चाहिए। देश में जहां वन्य पशुओं के लिए अभ्यारण्य केन्द्र बनाए गए हैं। वहीं जिसके शरीर में ईश्वर का वास है उनके लिए गौशाला बनवाकर कर उन्हें कैद किया जा रहा है। देश में सनातन धर्म को महत्वपूर्ण बताया गया है परंतु गौवंश की रक्षा करने का बीड़ा पूरी निष्ठा व ईमानदारी से नहीं किया जा रहा है। शायद इसीलिए प्रकृति भी रूठ गई है। भारतीयों ने जिसे माता कहकर पुकारा है उसकी पीड़ा समझकर उसे आसरा व व्यवस्था देना होगा, तभी सनातन धर्म की जय जय कार होगी।