पुराने कलेक्टोरेट पर जारी धरना प्रदर्शन 81वे दिन स्थगित कर दिया गया।
बड़वानी से अमजद मंसुरी की रिपोर्ट।
बड़वानी। धरने पर बैठे पूर्व CMHO डॉ एआर पटेल ने बताया कि कोरोना काल के दौरान आए मार्च से अगस्त माह तक के अधिक राशि के बिजली बिलों को माफ कराने को लेकर धरने पर बैठे थे। मध्यप्रदेश
सरकार और बिजली विभाग के जिम्मेदारों द्वारा यदि गरीबों की फिक्र करते हुए इस अवधि के बिजली बिल माफ कर दिए जाते तो गरीब उपभोक्तओं को बड़ी राहत मिल जाती लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार को सिर्फ चुनाव के समय ही गरीबों की याद आती है। बाकी समय गरीबों की समस्याओं से सरकार को कुछ भी लेना देना नहीं होता।
अंधी, बहरी और गूंगी है सरकार:
डॉ पटेल ने कहा कि पिछले 81 दिनों से प्रर्दशन जारी है। इस दौरान हमें सभी राजनैतिक संगठनों का भी समर्थन मिला लेकिन अब तक गरीब उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों ने धरना स्थल पहुंचकर अपना समर्थन दिया। श्री पटेल ने कहा कि बिजली विभाग के जिम्मेदार और सरकार में बैठे लोगों ने इन गरीबों की ओर ध्यान तक देना पसंद नहीं किया। यह सरकार गूंगी, बहरी और अंधी है। जिसने अब तक गरीबों की समस्या का निराकरण करना तो दूर किसी तरह का आश्वासन भी नहीं दिया है।
सरकार के इस रवैये से हताश होकर हमने धरना स्थगित करते हुए हाई कोर्ट की शरण ली है। हमें पूरा विश्ववास है कि न्याय पालिका गरीब उपभोक्ताओं को न्याय अवश्य दिलाएगी। अंत में डॉ पटेल ने धरना स्थल पर समर्थन देने पहुंचे सभी लोगों आभार व्यक्त किया। दोपहर बाद धरना प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया।
आगे भी जारी रहेगी लड़ाई:
गरीबों को न्याय दिलाने धरना प्रदर्शन में डॉ पटेल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पेंशनर संघ के जिलाध्यक्ष विजयकुमार जैन और समाजसेवी गुरमीतसिंघ गांधी भी 81 दिन डटे रहे। श्री जैन ने कहा कि 29 सितम्बर से हम लोग धरने पर बैठे थे। हम यह चाहते थे कि कोरोना काल में मार्च से अगस्त तक के बिजली बिलों को माफ किया जाए।
आज 81 दिन हो चुके हैं लेकिन सरकार के किसी भी नुमैंडर ने आज तक हमारी और गरीबों की खबर तक नहीं ली। मजबूर होकर हमें हाई कोर्ट की शरण लेना पड़ी। न्याय पालिका में याचिका लगाई गई की गई है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। हमें देश के कानून पर पूरा विश्वास है कि गरीबों को न्याय अवश्य मिलेगा।