रहटगांव में ग्राम नजरपुरा में रामलीला मंडल ने सीताहरण संवाद का मंचन किया।

रहटगांव में ग्राम नजरपुरा में रामलीला मंडल ने सीताहरण संवाद का मंचन किया।

रहटगांव से नीलेश गौर की रिपोर्ट।

रहटगांव। लगती ठंड में भी दूर दराज से आसपास के क्षेत्र के लोगों का रामलीला देखने जनसैलाब उमड़ा। जब श्रीराम, लक्ष्मण और सीताजी सहित चित्रकूट में अपनी कुटिया बनाकर रह रहे थे तभी एक दिन वहाँ से रावण की बहन सूर्पणखा आकाश की ओर से जा रही थी। उसकी नजर श्रीराम और लक्ष्मण पर पड़ी। वह उन्हें देखकर उन पर मोहित हो गई और सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर उनके समक्ष जाकर उनसे विवाह का प्रस्ताव रखने लगी। तब श्रीराम ने मना करते हुये कहा कि- “मैं तो विवाहित हूँ और आजीवन दूसरा विवाह न कर सकने के लिये प्रतिज्ञाबद्ध हूँ। तुम लक्ष्मण से बात करो।” फिर वह लक्ष्मण के समीप जाकर विवाह प्रस्ताव रखने लगी तो उन्होंने भी इन्कार कर दिया। इस पर वह गुस्से में सीता पर प्रहार करने लगी। तभी लक्ष्मण ने माता सीता को उससे बचाते हुये उसकी नाक काट दी थी।

सूर्पणखा रोते हुये रावण के पास गयी और वहाँ जाकर सब बात बतायी। तब रावण ने गुस्से में ‘सीता हरण’ की योजना बनाते हुये मारीच राक्षस को वहाँ सुन्दर हिरण के रूप में भेजा। हिरण को देखकर सीताजी ने श्रीराम को उस हिरण को लाने को कहा। सीताजी को अकेले ना छोड़ने का आदेश लक्ष्मण को देकर राम हिरण पकड़ने चले गए। जैसे ही श्रीराम का बाण हिरण बने मारीच को लगा, उसने श्रीराम की आवाज़ में लक्ष्मण और सीताजी को पुकारा। श्रीराम की आवाज़ सुनकर सीताजी ने लक्ष्मण को श्रीराम की मदद के लिए जाने का आदेश दिया। सीताजी की आज्ञा सुन, लक्ष्मण ने सीताजी को ‘लक्ष्मण रेखा’ में सुरक्षित किया और श्रीराम की मदद को चल दिए।

तभी साधु का रूप धरकर रावण भोजन लेने सीताजी की कुटिया के पास आ पहुँचा और सीताजी से लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर भोजन देने को कहा। जैसे ही सीताजी भोजन देने लक्ष्मण रेखा से बाहर आईं, रावण ने सीताजी का अपहरण कर लिया। श्रीराम ने लक्ष्मण को देखकर उनसे सीताजी को अकेले छोड़ आने का कारण पूछा। खतरे को भांपकर दोनों ने कुटिया की ओर दौड़ लगाई। सीताजी का अपहरण कर ले जा रहे रावण से जटायु ने सीताजी को बचाने के लिए युद्ध किया। कुटिया में सीताजी को ना पाकर श्रीराम, लक्ष्मण सीताजी को खोजने हेतु निकल पड़े। पुष्पक विमान से रावण द्वारा अपहरण कर ले जा रही सीताजी ने वानरों को देखकर अपने गहनों को धरती पर फेंकना शुरू कर दिया और अपना संदेश राम तक पहुँचाने का अनुरोध किया।

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